एक सफल कहानी से शुरआत करने पर महेन्द्र को हार्दिक बधाई, महेंद्र को इस कहानी के नया ज्ञानोदय में प्रकाशित होने की भी बधाई... अच्छा होता कि कहानी कु…
आगे पढ़ें »रवीश कुमार आपको 'गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार' मिलने पर शब्दांकन की तरफ से अनंत शुभकामनायें और बधाई ! पत्रकार, राष्ट्र प्रेमी और शहीद …
आगे पढ़ें »30 कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह "गुलमोहर" सान्निध्य : लीलाधर मंडलोई, वरिष्ठ कवि सुमन केशरी, वरिष्ठ कवयित्री लक्…
आगे पढ़ें »सूफ़ी संत सचिन - रवीश सुबह से ही सचिन ऐसे खेल रहे थे जैसे वे गुज़िश्ता चौबीस साल के एक एक लम्हे को फिर से जी लेना चाहते हों । जैसे विदाई के वक…
आगे पढ़ें »घूरना - आँचल ऋचा आज बहुत जल्दी में थी... घर से निकलने में ही उसे देर हो गयी थी और ऊपर से सुबह-सुबह मेट्रो की भीड़ लेडीज कोच तक पहुँचने में २…
आगे पढ़ें »अवसान एक युग पुरुष का अशोक मिश्र सुबह की पौ फूटते ही जैसे ही मोबाइल फोन को उठाया वैसे ही स्क्रीन पर कई मिस्ड काल और इनबाक्स में मैसेज दिखे। पह…
आगे पढ़ें »1857 गुलज़ार एक ख़्याल था...इन्क़लाब का इक जज़बा था सन अठारह सौ सत्तावन!! एक घुटन थी, दर्द था वो, अंगारा था, जो फूटा था डेढ़ सौ साल हुए…
आगे पढ़ें »राजेन्द्र यादव और नामवर सिंह Rajendra Yadav and Namvar Singh
आगे पढ़ें »कल रात्रि एक बहुत ही सजीव स्वप्न देखा। स्वप्न के दो छोर थे। एक तरफ शब्द था, दूसरी तरफ भी शब्द ही था। दूर कहीं रेगिस्तान के बीचोबीच दौड़ती, हांफती,…
आगे पढ़ें »अपर्णा प्रवीन कुमार... पांच सालों तक हिंदुस्तान टाइम्स जयपुर लाइव के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता। . साथ ही कुछ कवितायेँ और लेख अहा ज़िन्दगी और दैनिक भ…
आगे पढ़ें »ती न ल घु क था एँ - प्रा ण श र्मा धंधा मेरा एक पड़ोसी अँगरेज़ है। पड़ोसी होने के नाते उसने बातों ही बातों में मुझको बताया - ` …
आगे पढ़ें »नारी सशक्तिकरण: नया विमर्श कद्र अब तक तेरी तारीख ने जानी ही नहीं, तुझ में शोले भी हैं बस अश्कफ़िशानी ही नहीं, तू …
आगे पढ़ें »राजेंद्र यादव होने का महत्व चंचल चौहान राजेंद्र यादव नहीं रहे। अभी अभी उनके पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित करके दिल्ली के लेखकों का भारी हजूम…
आगे पढ़ें »फेसबुक किसी महानगर के उपनगर की तरह हैं। इसमें अट्टालिकाएँ हैं, मॉल, बार और मैट्रो के अलावा हर माडल की गाडिय़ाँ, टैक्सियाँ, मोटर साइकल, स्कूटर, ऑटो,…
आगे पढ़ें »राजेन्द्र यादव ने मुझे अपनी बात कहने की पूरी आज़ादी दी राजेन्द्र यादव नहीं रहे, सोचकर हैरानी होती है कि वे अब नहीं हैं। दो-चार दिनों पहले तक वो…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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