गांव का खत: शहर के नाम उस दिन डाकिया बारिश में ले आया था तुम्हारी प्यारी चिट्ठी उसमें गांव की सुगन्ध मेरे और तुम्हारे हाथों की गर्माहट से…
आगे पढ़ें »चौबे जी ने आव देखा ना ताव- रख कर दिया एक थप्पड़ सीधे दाहिने गाल पर। अब तो माहौल बिल्कुल ही बदल गया। वेब टीम का रिपोर्टर एक सेकंड के लिए तो सन्न रह…
आगे पढ़ें »चुनाव तो हो चुका है रवीश की रपट लोगों के बीच घूमने से पता चलता है कि हवा का रुख़ क्या है । अब लगभग यह स्थापित होता जा रहा है कि नरेंद्र मोदी क…
आगे पढ़ें »जब वे दुनिया से विदा हुईं तो खिलाड़ी बाबू वर्ल्ड टूर थे। आ नहीं पाए। जब छुट्टी में आए तो उनका दहाड़ मार कर रोना गांव कई दिन तक याद करता रहा। दुलार…
आगे पढ़ें »उन लोगों ने अपने टाइटैनिक का कितना ढिंढोरा पीटा और एक हम हैं...” शनिवार 8 फरवरी की शाम, दिल्ली के प्रसिद्ध कला केन्द्र अक्षरा थिएटर में लेखक रामू र…
आगे पढ़ें »सरदार खुशवंत डैड, और आगे छोटे अक्षरों में प्रकाशित होगा : गत शाम 6 बजे सरदार खुशवंत सिंह की अचानक मृत्यु की घोषणा करते हुए अफसोस हो रहा है। वह अपने…
आगे पढ़ें »डॉ० विश्वनाथ त्रिपाठी को व्यास सम्मान २०१३ मिलने पर असीम शुभकामनाएं, इस सम्मान से सिर्फ़ वो ही नहीं बल्कि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, पुस्तक प्रकाश…
आगे पढ़ें »लक्ष्मण - रेखाएँ जो हमेशा अपनी हद में रहता है वह प्रायः सुरक्षित बना रहता है लेकिन इतिहास का पन्ना नहीं बन पाता कभी भी जो हदें पार करने को तत्…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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