युद्ध और बुद्ध लेखिका: मधु कांकरिया प्रकाशित: मई 2015 | शब्दांकन युद्ध और बुद्ध : मधु कांकरिया भूमिका वे आंखें कभी नहीं भूलेंगी। न वह दिन। न…
आगे पढ़ें »अनदेखी की आग - भरत तिवारी जनसत्ता 'दुनिया मेरे आगे' 1 मई 2015 में प्रकाशित लेख । लिंक ... न सिर्फ आग पहले से जल रही थी ब…
आगे पढ़ें »वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका 'वर्तमान साहित्य' मई, 2015 - आवरण व अनुक्रमणिका आवरण के छायाकार दिलीप कुमार शर…
आगे पढ़ें »सुंदर सिर्फ बगीचा नहीं, संसार भी होना चाहिए प्रेम भरद्वाज आओ कि आत्महत्या करें! लाश वह चीज है जो संघर्ष के बाद बच रहती है उसमें सहे…
आगे पढ़ें »कविताएँ दीप्ति श्री वर्तमान से भविष्य को देखती दीप्ति श्री की पांच कवितायेँ... दरभंगा, बिहार की दीप्ति श्री वर्तमान में 'काशी हि…
आगे पढ़ें »भर्तृहरि कैलाश वाजपेयी चिड़ियाँ बूढ़ी नहीं होतीं कैलाश वाजपेयी अपनी कविता 'भर्तृहरि' का पाठ करते हुए 18 अगस्त 2013, इंडिया इ…
आगे पढ़ें »लड़कियाँ मछलियाँ नहीं होतीं प्रज्ञा पाण्डेय उसने एक पुरानी डायरी में वक़्त की किसी तारीख से हारकर ऐसा लिखा था । नज़र पड़ी 25 सितम्बर 1978 ।…
आगे पढ़ें »बहुजन संस्कृति और राजनीति का भविष्य ... चर्चा में शामिल होंगे प्रबुद्ध हिंदी साहित्यकार, आलोचक और हिंदी व मराठी क्षेत्र के राजनेता और अर…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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