जब दिग्गजों को छोड़कर, रवींद्र कालिया ने तय किया तो कॉफी हाउस में हलचल मच गई गुजरे जमाने का शहर — ममता कालिया पत्नी के साथ अमरकांत …
आगे पढ़ें »उन्हें विश्वास है कि दिल्ली में रहता हूँ इसलिए कवि हूँ कविता का कुलीनतंत्र (5) — उमाशंकर सिंह परमार जब तक कवि अपनी जमीन में नहीं खड़ा …
आगे पढ़ें »मैक्सिको और ब्राज़ील एम्बेसी ने मिलकर किया आयोजन कमानी में जैज़ कॉन्सर्ट और तस्वीरें यहाँ https://r.bharattiwari.com/2018/07/bhara…
आगे पढ़ें »एक-से-बढ़कर-एक: बेहतरीन अनुदित कवितायेँ — प्रकाश के रे Poem of Bertolt Brecht in Hindi, translation: Prakash K Ray 1 बर्तोल्…
आगे पढ़ें »और इस तरह युद्ध की तैयारी शुरू होती है — देवदत्त पट्टनायक अनुवाद: भरत तिवारी तुलसीदास की रामचरितमानस में एक चौपाई की दो पंक्तियाँ ह…
आगे पढ़ें »रणवीर ने निर्देशक-दृष्टि से अभिनय किया और वह संजू के अंदर के दस-बीस आदमियों के अंदर सफलता से चला गया —अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! च…
आगे पढ़ें »बहुत से कवि ऐसे भी हैं जो न तो महानगरीय कुलीनता से मुक्त हुए न ही अपने जातीय सवर्णवादी संस्कारों से मुक्त हुए मगर अपने आपको "वाम" कह…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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