उस्ताद राशिद खान की तान से शिमला गूंजा — भरत तिवारी
ख़तावार: जवाब तो देना होगा — भरत तिवारी
कि मैं और मेरा कुछ नहीं है — सत्येंद्र प्रताप सिंह | #विपश्यना
A Soofi in the Brothel — Prakash K Ray
हिमालयन इकोज़ : कुमाऊँ फेस्टिवल ऑफ़ लिटरेचर एंड आर्ट्स
भवतु सब्ब मंगलं  — सत्येंद्र प्रताप सिंह | #विपश्यना
उर्दू को कोई ख़तरा नहीं है
हाईस्कूल-इंटर के दिन याद आ गए — सत्येंद्र प्रताप सिंह | #विपश्यना

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दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय
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