Ashok Vajpeyi Autobiography 4 यह बात मुझे समझ में आ गयी थी कि मुक्तिबोध एक बड़े कवि हैं। इस बात से श्रीकान्त भी सहमत थे और इस बात से नामवर सिंह भी स…
आगे पढ़ें »3 मैंने न कभी बच्चों के लिए लिखा और न कभी बच्चे की तरह लिखा। कभी बाल पृष्ठ पर प्रकाशित नहीं हुआ। पत्रिकाओं में सीधे रचनाएँ भेजता था, बिना यह बताये …
आगे पढ़ें »मेरी समझ में नारी को कमतर मानते हुए उनपर शाब्दिक हमले करने वाले भी उतने ही बड़े अपराधी हैं जितना उनपर शारीरिक हमला करने वाला। पढ़िए गीताश्री का आग्नेय…
आगे पढ़ें »2 हमारे घर में किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं थी। एक आले में रामचरितमानस रखा होता था। ~ अशोक वाजपेयी
आगे पढ़ें »1 मेरे मन में जन्म को लेकर प्रसन्नता का भाव है। जाहिर है, जन्म के साथ संयोग और सौभाग्य इत्यादि भी जुड़े हैं, पर, मूल भाव प्रसन्नता और कृतज्ञता का ह…
आगे पढ़ें »साहित्य में अच्छी कविता का कोई सानी नहीं है। अनामिका जी के अनुवाद का आनंद उठाते-उठाते कब आप मणि राव की कविता का आस्वाद लेने लगेंगे, पता नहीं लगेगा!…
आगे पढ़ें »2010 में रवींन्द्र कालिया के संपादन में छप रही पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ का एक ‘महाबेवफाई अंक’ निकला। उसमें “उसके हिस्से की धूप” का कुछ संक्षिप्त रूप प…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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