शिशु और शव का मिटता फर्क दोस्तोएवस्की ने कहा था कि अगली शताब्दी में नैतिकता जैसी कोई चीज नहीं होगी। गुलजार के सिनेमाई गीतों पर आधारित पुस्…
आगे पढ़ें »१५ फरवरी, कोलकाता ‘निराला’, ‘सुकुल’ जयन्ती का आयोजन कोलकाता की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था बंगीय हिन्दी परिषद् में वाणी के प्राकट्य दिवस…
आगे पढ़ें »सिनेमा के सौ साल पूरे होने की ख़ुशी में हो रहे आयोजनों में हिंदी पत्र पत्रिकाएं भी अपनी जिम्मेवारी से दूर नहीं हैं, हाँ कुछ पत्रिकाओं ने इस…
आगे पढ़ें »बीते दिनों राजधानी के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में राजेन्द्र यादव जी के लेखों के नए संकलन है 'वे हमें बदल रहे हैं ...…
आगे पढ़ें »नई दिल्ली, 18 फरवरी। सुपरिचित कवि और आलोचक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को सोमवार को यहां सर्वसम्मति से साहित्य अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया। वे अका…
आगे पढ़ें »"हेलो मैं मेघा बोल रही हूँ" "अरे तुम फोन पर क्यों बात कर रही? मैं तो घर के बाहर ही खड़ा हूँ" "पर मैं घर के भीतर नहीं हूँ…
आगे पढ़ें »नहीं चाहिए अब तुम्हारे झूठे आश्वासन मेरे घर के आँगन में फूल नहीं खिला सकते चाँद नहीं उगा सकते मेरे घर की दीवार की ईंट भी नहीं बन सकते अब …
आगे पढ़ें »चोका - 1 तुम्हारी याद की ओस में भीगी मैं या बादलों का पसीना भिगो गया रही मैं प्यासी तू बन जा नदिया हुई मैं रेत तेरा दिल फिसला हूँ हवा न…
आगे पढ़ें »‘पथेर पांचाली’ (1955) से लेकर ‘आगंतुक’ (1991) तक सत्यजित राय ने पूरे छत्तीस वर्ष काम किया और छत्तीस फिल्में बनाईं. यानी हर साल एक फिल्म. मगर औ…
आगे पढ़ें »दिव्या शुक्ला जन्मस्थान: प्रतापगढ़ निवास: लखनऊ रूचि: मन के भावो को पन्नो पर उतारना कुछ पढना ,कभी लिखना सामाजिक कार्यों में योगदान अपनी …
आगे पढ़ें »झूठी कहानी लिखना, मेरे वश की बात नहीं है । क्योंकि झूठी कहानी लिखने वाले को, सच का गला घोंट कर मारना पड़ता है । वैसे सच कभी नहीं मरता । सच …
आगे पढ़ें »अनुपमा तिवाड़ी युवा कवियित्री व सामाजिक कार्यकर्ता, जयपुर ( राजस्थान) एम ए ( हिन्दी व समाजशास्त्र ) तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातक …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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