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आलोचकों की दृष्टि वहां तक नहीं पहुंच पाती जहां तक रचनाकारों की दृष्टि पहुंचती है - अनंत विजय
कवितायेँ: स्पर्श के गुलमोहर - संगीता गुप्ता (hindi kavita sangrah)
कहानी: इनसानी नस्ल - नासिरा शर्मा
भाषांतर अनुभव
गैर जिम्मेदार समीक्षा - मैत्रेयी पुष्पा
यह असहनीय और असहनशील युग है - कृष्ण बिहारी
कहानी : रेहन पर पांच बेटे - भूमिका द्विवेदी अश्क
‘राग दरबारी’ तीन कौड़ी का उपन्यास है  - विजय मोहन सिंह
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