पता नहीं लोग क्यों राजेन्द्र जी को स्त्रियों के लिए बदनाम करते हैं, मुझसे तो उन्होंने केवल इतना कहा, सिर उठाकर बात करिए मैत्रेयी पुष्पा, कह…
बाजार को सही पकड़े हैं... ~ अनंत विजय हिंदी के साहित्यकारों के लिए अब तक बाजार एक अछूत की तरह था गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मा…
आज भी जब दुनिया का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अखबार हिंदी का ही है तो फिर ऐसा क्यों हुआ कि हिंदी साहित्य के पाठक दिन-प्रतिदिन कम होते गए . - कृ…
संकीर्ण स्वार्थों और मतभेदों को भुलाना होगा नहीं तो मोदी सरकार हमारी हर आज़ादी को छीन लेगी ~ विमल कुमार मेरे प्रिय कहानीकारों में…
कैंसर से जूझ रहे जाने-माने म्यूजिक डायरेक्टर आदेश श्रीवास्तव की शुक्रवार 4 सितम्बर की देर रात मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में देहांत हो गया, उनके…
कवितायेँ, गुस्सा, चिंता और धूल-पसीना : हरे प्रकाश उपाध्याय दफ़्तर मेरे घर से दफ़्तर की दूरी अलग-अलग जगह रहने वाले मेरे सहकर्मियों…
तीन फिल्मों की समीक्षायें: फैंटम / बांके की क्रेजी बारात / कौन कितने पानी में फैंटम निर्देशक - कबीर खान कलाकार -सैफ अली खान, …
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 9, सितम्बर, 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति न…