कोई फिल्म या कहानी एक रचनात्मक प्रक्रिया से गढ़ी जाती है, पर उसका एक संदर्भ-बिंदु जरूर होता है. इसी में अनेक तत्वों को मिलाकर कथानक बनता है. तो, …
आगे पढ़ें »दादी का बागीचा समृद्ध था। केला, पपीता, नींबू और आँवले के पेड़ थे। नींबू खूब फलता। चोरी होने के भय से नींबू काँटों की बाड़ से घिरे थे। भोजन के वक्…
आगे पढ़ें »देवदत्त पटनायक की वर्तिका का बल पांडित्य बघारने पर केंद्रित नहीं — मृणाल पाण्डे गैर-राजनीतिक इरादे से देसी परंपरा को हिंदी में सम…
आगे पढ़ें »मैंने चपरासी से कहकर अपने और उसके लिए चाय मंगवाई। चाय पीने के बहाने वह सामने बैठ गया वर्ना मैं तो उससे लेख लेकर उसे तुरंत विदा करने वाला थ…
आगे पढ़ें »क्यों मुस्लिम पहचान को राष्ट्रीय पहचान से अलग करके देखा जाता है — लैला तैयबजी मुस्लिम महिलाओं से जुड़े मुद्दों को केवल मुस्लिम महिलायें…
आगे पढ़ें »क्या बैंकों का घाटा। एनपीए की रकम। बट्टा खाते में डालने का सच सबकुछ चुनावी लोकतंत्र से जा जुड़ा है जहां पार्टी के पास पैसा होना चाहिये। खूब …
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