न्याय - शब्दांकन (डॉ० अजय जनमेजय)


बाजों के फिर मुंह लगा ,इक चिडिया का खून |
लेकिन पूरे देश में ,जागा एक जुनून ||
फिर चिड़िया की ज़िन्दगी ,लूट ले गए बाज |
पहरेदारों को मगर , जरा न आई लाज |
जरा न आई लाज , लिए फंदा कानूनी |
चाहें सारे लोग , मरें वहशी ये खूनी |
जागा पूरा देश , करे चिंता बिटिया की |
रहे सुरक्षित जान ,देश की हर चिड़िया की ||
डॉ अजय जनमेजय
 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
थोड़ा-सा सुख - अनामिका अनु की हिंदी कहानी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
कहानी : भीगते साये — अजय रोहिल्ला
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy