होली के मुक्तक - सुधेश


सुधेश
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होली के मुक्तक


रंग का त्योहार होली है ,
प़ेम का व्यवहार होली है ,
तुम कहाँ घर में छिपे बैठे
निकल आओ यार होली है ।
     विविध वर्णी यह रंगोली है ,
     चुनर भीगी साथ चोली है ,
     अगर तन के साथ मन भीगे
     तभी समझो आज होली है ।
रंग में पूरी शकल धो ली ,
holi greetings shabdankan 2013 २०१३ होली की शुभकामनायें शब्दांकन
भंग में टोली बहुत डोली ,
यह घड़ी क्या रोज़ आती है ,
आज होली हो महज़ होली ।
     यह न केवल रीत रह जाये ,
     रीत के संग प़ीत रह जाये ,
     होली मनाओ इस तरह से
     प्यार की बस जीत रह जाये ।

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