रश्मि चतुर्वेदी
कवितायेँ

एक कवयित्री होने के अलावा रश्मि चतुर्वेदी अपने लेखन से समय समय पर समाज में होने वाली कुरीतियों पर भी प्रकाश डालती रहती हैं| उनके लेखन में सौम्यता और दृढ़ता का संतुलन मिलता है| रश्मि की चेतना गंभीर, मार्मिक और संवेदनशील है| वे रोज़गार की जानकारियों से संबंधित एक पत्रिका का संपादन भी करती हैं|
प्यार की कशिश
बात निकली है जो दिल से
जो कशिश है तेरी आँखों मे
वो भुलाने से ना भुलाए !
तेरे होठों पे जो बिखरी है
तबस्सुम की कलियाँ
तुम चाहो छुपाना पर
वो मोती सा बिखर जाए !
तनिक पास आ जाओ साहिब
तेरी पलकों को चूंम लूँ
इस पल के इंतजार मे
सदियो ना लग जाए !
घर
चार दीवारों से घिरा हुआ
प्यार के फूल से सज़ा हुआ
एक गाँठ से बँधा हुआ |
तिनका तिनका जोड़ के बनता
इसमे माँ का प्यार बसता
भाई बहन का प्यार झलकता
आपस मे सबका प्यार पनपता |
कहीं भी हो ये याद आता है
हमको अपने पास बुलाता
हम पर अपनी खुशियाँ लुटाता
दिन भर की थकान मिटाता |
रूखी सुखी खाकर हम
ठंडा पानी पी कर हम
सो जाते इसकी छाँव मे हम
भूल जाते सारे रंजो गम हम |
विलय योग
अपने मिलन की मधुरिम बेला मे
घबराती हूँ , बिफर जाती हूँ
उसके पदागमन् से सिहर जाती हूँ
कंपित स्वर से शब्द निकलता
कहीं योग वियोग ना बन जाए |
जैसे - जैसे पल पास आए
विलय का आता योग, ये हाय !!
बेचैनी से दिल घबराए
धड़कनों पे अब ना ज़ोर चले
उफ़ ! ये प्रतिपल बढ़ती जाए !!
आह !! बरसों के बाद ये पहर आई
जीवन ने मेरे ली अंगड़ाई
क्षणिक ना हो खुशियों की घड़ी
कितने प्रतीक्षा के बाद मिली
इस मधुर मिलन की मधुर कड़ी !!
जीवन तृष्णा
मदमाती मस्त तरंगो से

है कैसी निकली ये ज्वाला
उद्वेलित करती है तन-मन
बुझता नही ये अंगारा
यह भरा हुआ है चाहत से
प्रतिपल ये प्रेरित करता
साँसों मे कामना भरता
विष रूपी अमृत का प्याला
आह ! कितनी पीड़ा
नस-नस नागिन सा डसता
फिर भी व्याकुल मन फँसता
जो भी ये कराए वो करता
तू है युगावतार
ऐ पथिक तू पथ पर चलता चल
ऐ पथिक तू पथ पर चलता चल|
राहों में काँटे भी होगें
राहें पथरीली भी होगीं
पर तनिक भी ना तू विचलित हो
ऐ पथिक तू पथ पर चलता चल|
घनघोर अंधेरे भी होंगे
हर ओर सियापे भी होंगे
पर तनिक भी ना तू भयभीत हो
ऐ पथिक तू पथ पर चलता चल|
तू युग का युगावतार बन
तू जन जन का संताप हर
पर तनिक भी ना तू भ्रमित हो
ऐ पथिक तू पथ पर चलता चल|
तू अर्जुन बन लक्ष्य भेदन कर
तू कृष्ण बन संबोधन कर
बन साम्यवाद का प्रथम प्रचारक
ऐ पथिक तू पथ पर चलता चल|
1 टिप्पणियाँ
YAH PADKAR BAHUT ACCHA LAGA... NAYE KAVIYON KO PROTSAHAN MILNA CHAHIYE
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