उसके मन में उतरना...
उसके मन में उतरना
मानो कुएँ में उतरना था
सीलन भरी
अंधेरी सुरंग में
उसने बड़े निर्विकार ढंग से
अंग से वस्त्र हटा
सलाखों के दाग दिखाए
वैसे ही जैसे कोई
किसी अजनान चित्रकार के
चित्र दिखाता है
बयान करते हुए-
एक दिन दाल में नमक डालना भूल गई
उस दिन के निशान ये हैं
एक बार बिना बताए मायके चली गई
माँ की बड़ी याद आ रही थी
उस दिन के निशान ये वाले हैं
ऐसे कई निशान थे
शरीर के इस या उस हिस्से में
सब निशान दिखा
वो यूँ मुस्कुराई
जैसे उसने तमगे दिखाए हो
किसी की हार के...
स्तब्ध देख
उसने मुझे होले से छुआ..
जानती हो ?
बेबस की जीत
आँख की कोर में बने बाँध में होती है
बाँध टूटा नहीं कि बेबस हारा
आँसुओं के नमक में सिंझा कर
मैंने यह मुस्कान पकाई है
तब मैंने जाना कि
उसके मन में
उतरना
माने कुएँ में उतरना था
सीलन भरे
अंधेरे सुरंग में
जिसके तल में
मीठा जल भरा था...
मोनालिसा
क्या था उस दृष्टि में
उस मुस्कान में कि मन बंध कर रह गया
वह जो बूंद छिपी थी
आँख की कोर में
उसी में तिर कर
जा पहुँची थी
मन की अतल गहराइयों में
जहाँ एक आत्मा हतप्रभ थी
प्रलोभन से
पीड़ा से
ईर्ष्या से
द्वन्द्व से...
वह जो नामालूम सी
जरा सी तिर्यक
मुस्कान देखते हो न
मोनालिसा के चेहरे पर
वह एक कहानी है
औरत को मिथक में बदले जाने की
कहानी...
लड़की
डुग डुग डुग डुग
चलती रही है वह लड़की
पृथ्वी की तरह अनवरत
और नामालूम सी
किसे पता था कि चार पहर बीत जाने के बाद
हम उसे पल-पल गहराते चंदोवे के नीचे
सुस्ताता-सा देखेंगे
और सोचेंगे
लेट कर सो गई होगी लड़की
पृथ्वी सी
पर चार पहर और बीतने पर
उसे आकाश के समन्दर से
धरती के कोने कोने तक
किरणों का जाल फैलाते देखेंगे
कभी उसके पाँवों पर ध्यान देना
वह तब भी
डुग डुग डुग डुग
चल रही होगी
नामालूम सी
पृथ्वी सी..
मैं बचा लेना चाहती हूँ
मैं बचा लेना चाहती हूँ
जमीन का एक टुकड़ा
खालिस मिट्टी और
नीचे दबे धरोहरों के साथ
उसमें शायद बची रह जाएगी
बारिश की बूंदों की नमी
धूप की गरमाहट
कुछ चांदनी
उसमें शायद बची रह जाएगी
चिंटियों की बांबी
चिड़िया की चोंच से गिरा कोई दाना
बाँस का एक झुड़मुट
जिससे बांसुरी की आवाज गूंजती होगी...
औरत
रेगिस्तान की तपती रेत पर
अपनी चुनरी बिछा
उस पर लोटा भर पानी
और उसी पर रोटियाँ रख कर
हथेली से आँखों को छाया देते हुए
औरत ने
ऐन सूरज की नाक के नीचे
एक घर बना लिया
6 टिप्पणियाँ
बेहद मर्मस्पर्शी और भेदी कविताएँ हैं । सीधे मन की गहराईयों में उतर जाती हैं आपकी रचना । सभी कवितायें रत्नों की तरह हैं । "उसके मन में उतरना" तो निः शब्द कर देती है । आपको बधाई
जवाब देंहटाएंऐसे मार्मिक और अर्थगर्भित शब्दों के लिए शुक्रिया
हटाएंऐसे मार्मिक और अर्थ गर्भित शब्दों के लिए धन्यवाद
हटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंदिल को छूती सारगर्भित कवितायें
जवाब देंहटाएं