बचपन
हर इक की आँखों का वो ध्रुवतारा होता हैसच है प्यारे बचपन कितना प्यारा होता है

बचपन पावन गंगा का ही धारा होता है
उसकी चमक-दमक के आगे क्यों न झुके मस्तक
बचपन चढ़ते सूरज का उजियारा होता है
आँच न आये उस पे कभी भी उसके रखवालो
बचपन रोता - चिल्लाता बेचारा होता है
काश, सदा ही साथ रहे उसका प्यारा - प्यारा
बचपन से घर महका - महका सारा होता है
जवानी
मदमस्त सा हर इक को बनाती है जवानीकुछ इस तरह से दोस्तो आती है जवानी
मायूस उसे कितना बनाती है जवानी
जब आदमी को छोड़ के जाती है जवानी
कोई भी उसे तजने को तैयार नहीं है
कुछ इस तरह से सबको लुभाती है जवानी
क्योंकर न दिखे हर कोई सुन्दर या सलोना
चेहरे को चार चाँद लगाती है जवानी
साथ अपने लिए घूमती है ख़ास अदाएँ
यूँ शान निराली सी दिखाती है जवानी
दम से इसी के है बड़ी दुनिया में सजावट
हर इक को इसी बात पे भाती है जवानी
ए `प्राण` उसे कोई भी गुस्सा न दिलाना
जीवन में घनी आग लगाती है जवानी
बुढ़ापा
हँसते हुए जो शख्स बिताता है बुढ़ापाउस शख्स के चेहरे को सुहाता है बुढ़ापा
बच्चों की खुशी उसके लिए सबसे बड़ी है
उनकी खुशी में खुशियाँ मनाता है बुढ़ापा
औलाद का दुःख-दर्द न देखे वो तो अच्छा
अपने को कई रोग लगाता है बुढ़ापा
कितने हैं वे कमज़ोर से ए दोस्तो दिल के
जो कहते हैं कि उनको सताता है बुढ़ापा
इस बात को तू बाँध ले पल्ले से मेरे दोस्त
हर बात तजुरबे की बताता है बुढ़ापा
ये बात है सच्ची भले माने कि न माने
हर गलती का अहसास कराता है बुढ़ापा
ए `प्राण` बुढापे का निरादर नहीं करना
इक रोज़ हरिक शख्स को आता है बुढ़ापा
१३ जून १९३७ को वजीराबाद में जन्में, श्री प्राण शर्मा ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम ए बी एड प्राण शर्मा कॉवेन्टरी, ब्रिटेन में हिन्दी ग़ज़ल के उस्ताद शायर हैं। प्राण जी बहुत शिद्दत के साथ ब्रिटेन के ग़ज़ल लिखने वालों की ग़ज़लों को पढ़कर उन्हें दुरुस्त करने में सहायता करते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि ब्रिटेन में पहली हिन्दी कहानी शायद प्राण जी ने ही लिखी थी।
देश-विदेश के कवि सम्मेलनों, मुशायरों तथा आकाशवाणी कार्यक्रमों में भाग ले चुके प्राण शर्मा जी को उनके लेखन के लिये अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं और उनकी लेखनी आज भी बेहतरीन गज़लें कह रही है।