प्राण शर्मा की तीन लघु कथाएँ | Three Short Stories by Pran Sharma

ती न   ल घु   क था एँ  -   प्रा ण   श र्मा 



धंधा 

प्राण शर्मा की तीन लघु कथाएँ | Three Short Stories by Pran Sharma

मेरा एक पड़ोसी अँगरेज़ है। पड़ोसी होने के नाते उसने बातों ही बातों में मुझको बताया - ` मैं अपना मकान कुछ ही दिनों में बेच कर ब्लैकपूल चला जाऊँगा। `

      ` कितने में बेचेंगे ? `

      ` एक लाख पाउंड में। `

      ` आपके मकान की हालत तो बहुत खस्ता है ! `

       ` इसीलिये एक लाख पॉउंड रखी है उसकी कीमत। `

      ` अस्सी हज़ार पॉउंड चलेंगे ? `

      ` नहीं , एक लाख से कम नहीं लूंगा। `

      ` अच्छा , मैं अपनी पत्नी से विचार करूँगा। `

       मेरा एक घनिष्ठ मित्र है।  पोलिश है।  पेशे से वो बिल्डर है।  उसका मशवरा लिया। बोला - ` सौदा सस्ता है। खरीद लो।

      पत्नी ने भी सुझाव दिया - ` देर मत कीजिये। खरीद लीजिये , झट से।  प्रोपर्टी की कीमत बढ़ रही है। एक - दो सालों में उसकी कीमत दो लाख हो जायेगी।  उसकी मुरम्मत पर दस - पन्दरह हज़ार पॉउंड लग भी गए तो भी लाभ का सौदा होगा। `

      सुबह होते ही मैं भागा - भागा अँगरेज़ पड़ोसी के पास गया।  उसने खेद के लहजे में कहा - ` तुमने देर कर दी है। मकान तो कल रात ही बिक गया। `

      ` कल रात ही बिक गया ? `

      ` जी ,  कल रात ही बिक गया। `

      ` बात तो सिर्फ मुझसे की थी आपने।  खरीदने वाले को कैसे पता चला ? कौन है वो ? `

      ` दूसरी स्ट्रीट में रहता है। कोई पोलिश है।  मैंने मकान की कीमत एक लाख पॉउंड उसे बताई थी लेकिन वो तड़ाक से बोला - ` मैं मकान की कीमत एक लाख पन्दरह हज़ार पॉउंड दूँगा।  लीजिये पन्दरह हज़ार पॉउंड पेशगी में। `

       ` ओह , समझा। `

        मैं जब बाहर निकला तो पोलिश की बजाय अपने को कोस रहा था।

---------

कहानी 

प्राण शर्मा की तीन लघु कथाएँ | Three Short Stories by Pran Sharma
कोई कहानी सुनाऊँ ?

छोटी है न ?

हाँ , छोटी है।

किस विषय पर है ?

परिवार पर।

रहने दो।

क्यों ?

पारिवारिक कहानियाँ पढ़ते - पढ़ते तंग आ गया हूँ। सब चैनेल भरे पड़े हैं उनसे। वही भाइयों में संपत्ति के लिए तक़रार। वही सास का बहु पर ज़ुल्म और वही पति और पत्नी में तू - तू , मैं मैं।

समाज पर चलेगी ?

वो भी रहने दो।  स्त्रियों , दलितों आदिवासियों आदि की समस्याओं पर रोज़ ही  कुछ न कुछ पढ़ने को अखबारों और रसालों में मिल जाता है।

तो फिर राजनीति पर कहानी सुनाता हूँ।

नहीं , मुझे नहीं सुननी  राजनीति पर भी कहानी। यही सुनाओगे न , आजकल के राजनीतिज्ञ अव्वल नंबर के चोर हैं।

धर्म पर ही कहानी सुन लो।

धर्म भी राजनीति से कम नहीं रहा।  उसे अब क्या सुनना ? कहानी - वहानी छोडो।

ऐसा करो कि अपना कम्प्यूटर खोलो , कोई गेम खेलते हैं।

-------

हिंदी भाषी 

प्राण शर्मा की तीन लघु कथाएँ | Three Short Stories by Pran Sharma
सुनिधि ( फोन पर ) - कौन बोल रहा है , जी ?

सन्नी - हेलो , भाभी जी , मैं सन्नी बोल रहा हूँ। क्या देव जी घर में ही हैं ?

सुनिधि - घर में ही हैं। बुलाती हूँ।

देव - हेलो।

सन्नी - देव जी , मैं सन्नी बोल रहा हूँ।

देव - कैसे हैं आप ?

सन्नी - आई ऍम आल राईट। एक हैप्पी न्यूज़ है।  मेरे एल्डर सन ने हिंदी में एम. ऐ. पास करा  फर्स्ट क्लास में।

देव -    बहुत - बहुत बधाई।  आपने अपने बेटे से झंडी में एम . ऐ क्यों करवाया है ?  भाई , हिंदी पढ़ों - लिखों को को कोई नौकरी - वौकरी तो मिलती नहीं है।  कहीं ऐसा तो नहीं कि आपका बेटा किसी और विषय के योग्य नहीं था?

सन्नी - नहीं, ऐसी कोई बात नहीं थी।  देखिये देव जी , हिंदी हमारी नैशनल लैंगुएज है उसका मान - सम्मान हम हिंदी भाषी नहीं करेंगे तो कौन करेगा ? यू नो इट वेरी वेल्ल कि आजकल हम बात - बात पर अंगरेजी के वर्ड बोलते हैं।  उनकी रोकथाम हम नहीं करेगे तो और कौन करेगा ? इसलिए इट इज नेसेसरी कि हम अपनी - अपनी औलाद को हिंदी में एजुकेट करें।  हिंदी पढ़ों - लिखों को जॉब ज़रूर मिलेगी , मेरा अटूट बिलीफ है।  ओके ये सब्जेक्ट आपसे डिस्कस मैं फिर कभी करूँगा।  अभी मुझे एक इम्पोर्टेंट काम पर कहीं जाना है। सी यू सून। बाय - बाय।

 -------



१३ जून १९३७ को वजीराबाद में जन्में, श्री प्राण शर्मा ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम ए बी एड प्राण शर्मा कॉवेन्टरी, ब्रिटेन में हिन्दी ग़ज़ल के उस्ताद शायर हैं। प्राण जी बहुत शिद्दत के साथ ब्रिटेन के ग़ज़ल लिखने वालों की ग़ज़लों को पढ़कर उन्हें दुरुस्त करने में सहायता करते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि ब्रिटेन में पहली हिन्दी कहानी शायद प्राण जी ने ही लिखी थी।
देश-विदेश के कवि सम्मेलनों, मुशायरों तथा आकाशवाणी कार्यक्रमों में भाग ले चुके प्राण शर्मा जी  को उनके लेखन के लिये अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं और उनकी लेखनी आज भी बेहतरीन गज़लें कह रही है।

एक टिप्पणी भेजें

4 टिप्पणियाँ

  1. यही प्राण जीकी खासियत है थोडे शब्दों में गहरी बात कह देते हैं । अर्थपूर्ण लघुकथायें ।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्राण भाई

    ऐसा करो अपना कम्प्यूटर खोलो....कोइ गेम खेलते हैं. आपकी लेखनी पर कमेंट करने की मेरी औकात नहीं...ऐसा जबरदस्त लिखते हैं आप

    जवाब देंहटाएं
  3. गहरी बातों को चंद शब्दों में ... बहुत ही अर्थपूर्ण .... सभी कथाएं अपनी बात और उसके दूरगामी अर्थ को बाखूबी रखती हैं ... नमन है प्राण साहब को ...

    जवाब देंहटाएं
  4. प्राण जी ,
    आपकी छोटी कहानियाँ ही सही , पर कितना कुछ कह देते है आप !
    हर कहानी में एक सन्देश निहित है .
    आपकी लेखनी ने फिर एक बार अपना जादू चलाया है .
    सलाम कबुल करे.
    आपका
    विजय

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
बारहमासा | लोक जीवन और ऋतु गीतों की कविताएं – डॉ. सोनी पाण्डेय
काली-पीली सरसों | ज्योति श्रीवास्तव की हिंदी कहानी | Shabdankan
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
चतुर्भुज स्थान की सबसे सुंदर और महंगी बाई आई है