विनोद तिवारी को अठारहवां (2013) 'देवीशंकर अवस्थी सम्मान' Devi Shanker Awasthi samman to Vinod Tiwari



'नयी सदी की दहलीज पर', हिन्दी आलोचना के लिए वर्ष 2013 का 'देवीशंकर अवस्थी सम्मान' युवा आलोचक विनोद तिवारी को उनकी 2011 में प्रकाशित पुस्तक 'नयी सदी की दहलीज पर' पर दिया जायेगा। यह निर्णय इस सम्मान के लिए गठित पुरस्कार समिति की इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की एनेक्सी में आयोजित एक बैठक में 24 फरवरी, 2014 को सर्वसम्मति से लिया गया। बैठक में सर्वश्री अजित कुमार, नित्यांनद तिवारी, अशोक वाजपेयी, सुश्री अर्चना वर्मा और श्रीमती कमलेश अवस्थी उपस्थित थे।
अठारहवां 'देवीशंकर अवस्थी सम्मान'
विचार गोष्ठी : युवा आलोचकों के सरोकार
दिनांक: 5 अप्रैल, 2014 (शनिवार)
शाम 5.30 बजे
साहित्य अकादेमी सभागार
रवीन्द्र भवन,नई दिल्ली
जलपान: 5:00 बजे

          देवीशंकर अवस्थी सम्मान हिन्दी के दिवंगत प्रख्यात आलोचक डॉ. देवीशंकर अवस्थी  की स्मृति में उनकी पत्नी श्रीमती कमलेश अवस्थी द्वारा वर्ष 1995 में स्थापित किया गया था। अब तक यह सम्मान निम्न आलोचकों को मिला है।
  1. 1995 - सर्वश्री मदन सोनी
  2. 1996 - पुरुषोत्तम अग्रवाल
  3. 1997 - विजय कुमार
  4. 1998 - सुरेश शर्मा
  5. 1999 - (किसी कृति को इस सम्मान के योग्य पाया नहीं जा सका था)
  6. 2000 - शम्भुनाथ
  7. 2001 - वीरेन्द्र यादव
  8. आलोचना कर्म एक सचेत, तर्कशील, बौद्धिक और अकादमिक दायित्व है - विनोद तिवारी
  9. 2002 - अजय तिवारी
  10. 2003 - पंकज चतुर्वेदी
  11. 2004 - अरविंद त्रिपाठी
  12. 2005 - कृष्णमोहन
  13. 2006 - अनिल त्रिपाठी
  14. 2007 - ज्योतिष जोशी
  15. 2008 - प्रणयकृष्ण
  16. 2009 - सुश्री प्रमिला के.पी.
  17. 2010 - संजीव कुमार
  18. 2011 - जितेन्द्र श्रीवास्तव
  19. 2012 - प्रियम अंकित

          23 मार्च, 1973 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में जन्मे विनोद तिवारी की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में हुई और उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परा-स्नातक हुए। तत्पश्चात वर्धा के महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में तीन वर्ष अध्यापन, बी. एच. यू., वाराणसी में दो वर्ष अध्यापन के बाद सन् 2010 से दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापनरत हैं। अभी दो वर्षों से अंकारा विश्वविद्यालय, अंकारा (टर्की) में विजिटिंग प्रोफेसर पद पर रहने के पश्चात पुनः दिल्ली आये हैं।

          हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में वे निरन्तर लिखते रहे हैं। 'पक्षधर' पत्रिका के संपादक रहते हुए अन्य पत्रिकाओं का भी संपादन कार्य करते रहे हैं। इन दिनों 'उपनिवेश और उपन्यास' नाम से एक आलोचनात्मक किताब पर भी काम कर रहे हैं।

          'परम्परा, सर्जन और उपन्यास'  विजयदेव नारायण साही (साहित्य अकादमी के लिए मोनोग्राफ) के अलावा साहित्य अकादमी के लिए ही 'स्वाधीनता के बाद का हिन्दी साहित्य' में आत्मकथा खंड का लेखन कार्य भी विनोद तिवारी कर रहे हैं।

          विनोद मानते हैं कि आलोचना कर्म एक सचेत, तर्कशील, बौद्धिक, अकादमिकदायित्व है। यह दायित्व बोध ही एक तरह से वह आलोचना दृष्टि प्रदान करता है जिससे अपने समय, समाज और संस्कृति को नये बनते, बिगड़ते संबंधों के बीच परखा जा सकता है।

          पुरस्कार समारोह की नियामिका और संयोजिका श्रीमती कमलेश अवस्थी ने इस निर्णय की जानकारी  देते हुए बताया कि पुरस्कार समारोह अवस्थी जी के जन्मदिवस के दिन 5 अप्रैल, 2014 (शनिवार) की शाम 5.30 बजे, रवीन्द्र भवन,नई दिल्ली के साहित्य अकादेमी सभागार में आयोजित समारोह में विनोद तिवारी को अठारहवां 'देवीशंकर अवस्थी सम्मान' प्रदान किया जायेगा। इस अवसर पर'युवा आलोचकों के सरोकार' विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई है।

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. पुरूषोत्तम जी अग्रवाल और अन्य अग्रजों के साथ विनोद जी तिवारी भी सम्मान की इस पंक्ति में शामिल होगयेे..... बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل