कविता: म्हारे डिग्गे की मुहब्बत - सुधा राजे Hindi Kavita - Sudha Raje

म्हारे डिग्गे की मुहब्बत

सुधा राजे


""स्वीट हार्ट आई लव यू डार्लिंग""
सुनकर बङी चहक लहक के साथ इतराने
लगी नई मेम साब।
और चट से बोल बङी ""मी टू लव यू हनी!! "
परंतु
वहीं पोंछा लगाती फूलमती की समझ में
नहीं आया ये सब क्या है ।

इतना तो वह भी जानती है पढ़े लिखे
घरों में बीस बरस से काम जो करती है
कि क्या है इन ज़ुमलों का मतलब लेकिन
मतलब तो नहीं समझ में आया मतलब के पीछे के मतलब का ।

अभी कुछ ही महीनों पहले
की ही तो बात है ।
!!!!!!
छोटे साब के लिये रोज रिश्ते आते और
बङी मेम बङे साब तसवीरें छोटे साब
को दिखाते ।
जब दरजन भर तसवीरों में से कोई
तसवीर पसंद आती तो लड़की वालों के
घर सूचना भेज दी जाती । लड़की के
पिता भाई चाचा मामा आते और
लंबी बातचीत के बाद दहेज पर
मामला अटकने पर हताश होकर
शर्मिन्दा लौट जाते ।
फिर नयी तसवीरे नये विवरण
नयी मुलाकातें चलने लगतीं ।
कभी कभी बात लड़की देखने तक
जा पहुँचती ।
किसी होटल मंदिर पार्क या घर में
छोटे साब कभी छोटी बहिन
कभी दोस्तों के साथ लड़की देखने पहुँच
जाते लड़की वालों का जमकर
खर्चा करवाते फिर घर आकर एक फोन
कर देतीं बङी मेम साब कि लड़की पसंद
नहीं आई ।
बस
इसी तरह सैकङा भर
लङकियाँ गयीं दो तीन साल में ठुकराई।
पिछले साल बात सगाई तक
जा पहुँची और तमाम तोहफे ले देकर
अँगूठियाँ भी पहन लीं लङके वाले
तो हमेशा ही लेते हैं सो हजारों के
तोहफों से बिन मौसम दीवाली कर ली।
फिर कुछ दिन घूमे फिरे बतियाये और एक शाम लड़की को कार के मॉडल पर मना कर आये। ये शादी भी लाखों की नहीं करोङों की बैठी। तभी तो नई मेम साब अभी तक नखरों में ऐंठी । माना कि हनीमून भी हो लिया और मन गयी सुहागरात । लेकिन पचास लाख बीस तौला और बीएम डब्ल्यू से शादी करने वाला लङका कैसे कह सकता है किसी लड़की से प्रेम होने की बात!!!!!!!
और कैसे कोई लड़की मान सकती है उस
दैहिक उपभोग के रिश्ते को प्यार जब
यही वाक्य किसी लङके ने पहले
भी किसी लड़की से दुहराया हो बार
बार!!!!!
कैसे कह सकती है खरीदे हुये बिस्तर के
स्थायी सेवक गुलाम को कोई
लड़की कि है प्रेम जबकि ये
सारा रिश्ता तो है
नीलामी की ऊँची बोली का ।
पैसा सोना मशीनों के लिये मोल तोल
करके लड़की का दैहिक सहभागी बनने
को तैयार होने
वाला लङका तो स्थायी लुटेरा है
परंपराओं की ठिठोली का।
सोचती है फूलमती छोटी मेम के शौहर से
तो कई गुना ज्यादा प्यार करता है
डोंगरदास उसको सोलह
की थी तभी भगा लाया और हर सुख दुख
में निभाया ।
कभी कभी कच्ची पीके खूब रोता है
कहता है फूलो तुझे रानी बनाके
रखता जो मैं सेठ होता ।
सोचती है फूलमती जा "रूपयों की हुंडी" से
ज्यादा म्हारे डिग्गे को मुझसे मुहब्बत
हती।

सुधा राजे
 511/2, पीताम्बरा आशीष
फ़तेहनगर, शेरकोट -246747, बिजनौर (उप्र)
ईमेल : sudha.raje7@gmail.com

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
Hindi Story: 'शतरंज के खिलाड़ी' — मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं
भारतीय उपक्रमी महिला — आरिफा जान | श्वेता यादव की रिपोर्ट | Indian Women Entrepreneur - Arifa Jan
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया