काश, सिर्फ चुलबुली होती सोनम - दिव्यचक्षु | Wish, Sonam was just bubbly - 'Khoobsurat' review - Divya-Chakshu

फिल्म समीक्षा

काश, सिर्फ चुलबुली होती सोनम

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दिव्यचक्षु

खूबसूरत

निर्देशक- शशांक घोष
कलाकार- सोनम कपूर, फवाद खान, रत्ना पाठक शाह, किरण खेर, अमीर रजा हुसैन, अदिति राव हियाद्री, प्रसेनजीत चटर्जी

शशांक घोष की `खूबसूरतहृषिकेश मुखर्जी की फिल्म `खूबसूरत’ का रिमेक तो नहीं है लेकिन प्रेरणा वहीं से ली गई है। कुछ और समानताएं हैं। इसमें रत्ना पाठक शाह ने जो भूमिका निभाई है उससे मिलती जुलती भूमिका पहले वाली `खूबसूरत’ में उनकी मां दीना पाठक ने निभाई थी। लेकिन इस बार वाली `खूबसूरत’ बहुतों को शायद उतनी खूबसूरत न लगे जितनी पहलेवाली लगी थी। लेकिन वक्त बदल गया है इसलिए रुचियां भी बदली हैं और नए जमाने की पसंद की चीजें भी शशांक घोष की इस फिल्म में हैं।

इस फिल्म के नायक फवाद खान पाकिस्तानी हैं और देखने में क्रिकेटर विराट कोहली की तरह लगते हैं। उनके व्यक्तित्व और अंदाज में एक चुंबकत्व है। इस फिल्म की नायिक सोनम कपूर माफ करेंगी, कुछ दृश्यों को छोड़ दें तो वे फवाद खान को जोरदार टक्कर नहीं दे पातीं। हालांकि उनके स्टाइलिस्ट ने उनके ऊपर बहुत मेहनत की है उनके रंगबिरंगे कपड़े और धोती-सलवार जैसे वस्त्र कई जगहों पर काफी फबे हैं। कुछ दृश्यों में वे हाफ पैंट में हैं। लेकिन मुश्किल ये है कि निर्देशक ठीक से तय नहीं कर पाया कि सोनम को अल्हड़ बनाना है या फूहड़। कई जगहों पर, खास कर डाइनिंग टेबल के तहजीब में सोनम कपूर फूहड़ता का परिचय देती हैं। एक बार तो अपने मुंह से बबलगम निकालकर डाइनिंग टेबल पर ही रख देती हैं। बेशक ये  उनकी गलती नहीं है, बल्कि निर्देशक की है। मगर दर्शकों पर सोनम के व्यक्तित्व का तो उल्टा असर पड़ता है। काश उनके किरदार पर और मेहनत की गई होती।

सोनम कपूर इसमें मिली चक्रवर्ती नाम की फिजियोथेरापिस्ट बनी हैं जो राजस्थान में एक पुराने रजवाड़े में शेखर राठौड़  (अमीर रजा हुसैन) का इलाज करने जाती हैं। मिली अल्हड़ और चुलबुली है। वे क्रिकेटरों की फिजियोथरापिस्ट है। लेकिन अचानक पेशे के दबाव में  राज परिवार बे बीच चली जाती। शेखर राठौड़ की पत्नी, यानी रानी साहिबा (रत्ना पाठक शाह) कड़े अनुशासन की पाबंद हैं और दूसरों से भी अपेक्षा करती हैं वो तहजीब का पालन करेगा। इस परिवार का वारिस विक्रम राठौड़ (फवाद खान) अपने खानदान की परंपरा का पालन करता है और साथ ही वो पक्का बिजनेसमैन भी है। विक्रम और मिली की जोड़ी शुरू में नहीं जमती है। लेकिन फिल्म को तो चलाना है। इसलिए निर्देशक की योजना के तहत दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। मगर झिझकते हुए। क्या उनकी झिझक खत्म होगी और वे दोनों एक दूजे के हो जाएंगे, मध्यांतर तक सारा मसला यही है।

रत्ना पाठक शाह की चरित्र पुराने टीवी सीरियल `साराभाई वर्सेस साराभाई’ वाले चरित्र के करीब है। पर चरित्र अभिनेताओं में सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं किरण खेर। मिली की मां मंजू के रूप में वे बेहद जिंदादिल लगी हैं। ये फिल्म भारत से ज्यादा शायद पाकिस्तान में चले।

दिव्यचक्षु
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