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मैं पत्थर के पानी होने की बात कर रहा हूँ — विश्वनाथ त्रिपाठी
इसे समाजवाद मत कहिए पार्टनर, यह हमारी सोच का पटरी हो जाना है — प्रेम भारद्वाज
मन्नू भंडारी को शब्द साधक शिखर सम्मान | Mannu Bhandari Awarded
इंटरव्यू : पाखी संपादक प्रेम भारद्वाज की पटना में अमित किशोर से बकैती
कहानी: सन्नाटे की गंध - रूपा सिंह
पाखी का टॉक ऑन टेबल - मुख्यधारा के आप बमुश्किल पांच सौ पाठकों के लिए | Pakhi's Talk on Table with Kumar Vishwas

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तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
बारहमासा | लोक जीवन और ऋतु गीतों की कविताएं – डॉ. सोनी पाण्डेय
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