कविताओँ मेँ इन दिनों माँ उन्नीस सौ नब्बे का साल । इस साल कवियों नेँ माँ पर कविताएँ लिखीं अनगिनत। कविताओं में इन दिनों जहाँ देखो तहाँ …
28-29 मार्च 2014 को स्कूल आॅफ इंटरनेशनल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के कमेटी रूम नं 203 में ‘हाशिये उलांघती औरत’ के…
अब जो प्रस्तुत है उसका आधार है जैसा मैने जाना के अलावा जैसा राजेन्द्र जी ने जहां तहां लिखा और उसे जैसा मैने पढ़ा। – अर्चना वर्मा आत्मकथ्य सिर्फ अप…
हमारी स-प्रमाण गर्वोक्ति अशोक गुप्ता इस आलेख के आवेग में वरिष्ट विचारक अजित कुमार एवं अर्चना वर्…
...सबसे उ़पर ‘रेप: डिस्कोर्स ऑफ पावर’ । फिर हिन्दी में चपला की लिखावट, ‘बलात्कार यानी बल से करना’ फिर कंकु की लिखावट, ‘क्या करना ।’ फिर चपला के बड़े…