इस निर्मम समय में हम निराश-हताश लोगों से बचते हैं - प्रेम भारद्वाज वसंत के हत्यारों की खोज हम सब जो जीवित हैं अपना एक जीवन गुजा…
आगे पढ़ें »पैगाम-ए-सियासत क्या कहिए… ~ प्रेम भारद्वाज वे सम्मान लौटा रहे हैं / नहीं, वे प्रतिरोध की गोलियां दाग रहे हैं... चरम निराशा की अवस…
आगे पढ़ें »सुंदर सिर्फ बगीचा नहीं, संसार भी होना चाहिए प्रेम भरद्वाज आओ कि आत्महत्या करें! लाश वह चीज है जो संघर्ष के बाद बच रहती है उसमें सहे…
आगे पढ़ें »लेखक बनना खुशी की बात नहीं... प्रेम भारद्वाज ‘भूत’ हूं मैं ‘‘ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया ये इंसां के दुश्मन समाजों की दु…
आगे पढ़ें »अपनी सोच को विस्तार देने की गति को निरंतर बढ़ाना और उनसे जन्मे विचारों को शब्दों में परिवर्तित करने की कला को लगातार निखारना और समन्वय रखना मुश्कि…
आगे पढ़ें »कुछ रोज़ पहले हतप्रभ था कि लोग बीते दिनों आसाम में हुई हत्याओं की तुलना पेशावर में हुई बच्चों की हत्या से अजीब ढंग से कर रहे थे, समझ नहीं आया कि क्या…
आगे पढ़ें »Prem Bhardwaj on Muktibodh & Fascism पार्टनर, बस अब फासिज्म आ जाएगा प्रेम भारद्वाज वह चलता रहा। उसका चलना एक अंधेरे से दूसरे अंधेरे तक का…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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