श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफ्को साहित्य सम्मान २०२३ से सम्मानित कथाकार मधु कांकरिया की कहानियाँ इस पाठक को पसंद आती रही हैं लेकिन, 'घूमर', उनकी प…
आगे पढ़ें »अपना देश, अपना मुल्क कितनी बड़ी नियामत है यह! पर हम अभागे बिना देश के हैं। कौन समझेगा इस पीड़ा को? कौन समझेगा घर का बिस्तर, घर की गलियां छोड़ने का द…
आगे पढ़ें »हिंदी साहित्य को धकियाती क्षेत्रीय, जातीय, नस्ली, स्त्री बनाम पुरुष, कविता कि कहानी तिस पर लेखन बनाम फेसबुक राजनीति से परे भी हैं कुछ लोग…
आगे पढ़ें »एक बेहतरीन कहानी जैसे 'आवारा मसीहा' ... उसमें उसको ढूँढने की कोशिश में — मधु कांकरिया कुछ यादें बड़ी ढीठ होती हैं। अनजाने अन…
आगे पढ़ें »जीवन का मर्म कानून से नहीं समझा जा सकता — मधु कांकरिया | Photo: Bharat S Tiwari जीवन का मर्म... रेखाचित्र और संस्मरण में अंतर समझाती मधु…
आगे पढ़ें »इस वहशी हिंसक समय ने भक्ति के किसी भी रूप को उसके मूल सुन्दर सच्चेपन से नहीं दूर किया हो, ऐसा लगता नहीं. देशभक्ति भाई सामान मित्र को हटा गयी, न…
आगे पढ़ें »शेतकरी को यह विश्वास दिला दिया गया है कि धरती की उर्वर शक्ति को, उत्पादकता को बनाए रखने के लिए जरूरी हो गया है बढ़िया बीज और खाद। बीज, खाद और …
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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