डाक्टर नर्स जा चुके हैं। लड़की अब रोने लगी है। ऊपर झुकी दाई के गले में हाथ डालने की कोशिश करते हुए अस्फुट स्वर में बुदबुदाती है— बचाई लेव अम्मा…
आगे पढ़ें »यह तो कहो कि अभी काकी जिन्दा हैं। न होतीं तो कौन रात के अंधेरे में अपनी औरत को काका का पैर दबाने के लिए भेज देता, कोई ठिकाना है। कौन कब बूढ़े को…
आगे पढ़ें »कुच्ची का कानून, शिवमूर्ति की इस अविस्मरणीय कहानी का हर पाठक पर अलग और वृहत प्रभाव पड़ेगा... इसके बारे में फ़िलहाल इससे अधिक और कुछ भी नहीं कहूँगा…
आगे पढ़ें »इस फिल्म के नायक हैं कथाकार शिवमूर्ति - कमल पांडेय कैमरे की आंख से देखते हैं शिवमूर्ति ('मंच' जनवरी-मार्च 2011 से) मध…
आगे पढ़ें »कहानी बनाना रिपब्लिक शिवमूर्ति ठाकुर के दालान से निकला तो उसका दिल धाड़-धाड़ कर रहा था। इतनी खुशी वह कैसे सँभाले? कहाँ रखे? घुप्प अँधे…
आगे पढ़ें »कहानी बनाना रिपब्लिक (भाग-२) शिवमूर्ति बिल्कुल। जिसका वोट मिलने की उम्मीद न हो उनको भी। भाई, हम अपनी ओर से क्यों मान लें कि कोई हमें …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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