शहर की सुबह - इंदिरा दांगी रचना घर से दूध की थैलियाँ लेने निकली है। ऊँचाई-तराईनुमा बेढब इलाक़े में बने एलआईजी, एमआईजी, अपार्टमेंटों…
आगे पढ़ें »जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से मेरा सामना - भरत तिवारी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से मेरा सामना पहली बार 2012 में हुआ. तब की बड़ी हसीन यादें हैं…
आगे पढ़ें »साहित्यक सर्वे में लापरवाही का “खेल’ ~ अनंत विजय आज से करीब सोलह साल पहले की बात है । दिल्ली के एक प्रतिष्ठित दैनिक में साहित्यिक पु…
आगे पढ़ें »सम विषम दिल — अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! सम और विसम के चक्कर में दिल्ली के दिल कौ का हाल ऐ? —दिल में सम-विषम संख्याएं नहीं होतीं…
आगे पढ़ें »मैं अ से अनार लिखता - रेवन्त दान बारहठ की कवितायेँ 'अ' से मैं अ से अनार लिखता या अलिफ़ लिखता एक ही तो बात थी पर मुझ से …
आगे पढ़ें »वह बहुत डरता है राजदण्ड से जितेन्द्र श्रीवास्तव की कविताएँ >>सरकारों के स्वप्न में वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का समय करी…
आगे पढ़ें »क्या यह इंसानी अहंकार नहीं कि वह इस सर्वोच्च सत्ता की मान रक्षा का दावा करता है? - अपूर्वानंद Apoorvanand apoorvanand@kafila.org …
आगे पढ़ें »नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ आपके लिए हिंदी अकादमी उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा का साक्षात्कार. हाल में ही दिनेश कुमार से हुई उनकी यह बातचीत '…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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