जगदीश स्वामीनाथन की यादें — विनोद भारद्वाज संस्मरणनामा स्वामीनाथन सत्तर के दशक में दिल्ली की कला दुनिया के महानायक थे, साठ के दशक में …
आगे पढ़ें »'78 डिग्री' (महा अभियान की महागाथा) अरुण कुमार असफल अरुण कुमार असफल: 78 डिग्री (महा अभियान की महागाथा) वरिष्ठ आलोचक श्री रवी…
आगे पढ़ें »गली क़ासिम जान | ज़िन्दगीनामा मिर्ज़ा ग़ालिब — विनोद भारद्वाज (जयपुर) गली क़ासिम जान | ज़िन्दगीनामा मिर्ज़ा ग़ालिब वरिष्ठ आलोचक श्री रवीन्द्र…
आगे पढ़ें »सबसे पहले वह प्रतिक्रिया जो उदय प्रकाश जी को, उनकी नई कहानी 'अंतिम नीबू' को चार दिन पहले पार्थिव शाह जी के भेजने पर पढ़ने के बाद दी: स…
आगे पढ़ें »अकबर, एस पी और उदयन की यादें — विनोद भारद्वाज संस्मरणनामा मैं आज के मुबशर जमाल अकबर को बिलकुल नहीं जानता, वैसे भी वह एम जे अकबर के न…
आगे पढ़ें »प्रिय कवि मंगलेश डबराल जी, जिन्हें विनोद भारद्वाज जी साहित्य और कला में अपना अकेला हमउम्र दोस्त लिख रहे हैं, उनपर लिखा यह संस्मरण पढ़ने के…
आगे पढ़ें »रवीन्द्र त्रिपाठी: 'एक पुस्तक पर 5 मिनट' लफ्फ़ाज़ और अन्य कहानियाँ description लफ्फ़ाज़ और अन्य कहानियाँ आलोचक श्री रवीन्द्र त…
आगे पढ़ें »कला दुनिया की माया हैं, कहीं धूप कहीं छाया है। सुबोध प्यारा इंसान हैं, उसके दोस्त कहते हैं, उसका चक्रवर्ती भाग्य है, वह कल्पनाशील भी ख…
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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