उसके चेहरे से ही नहीं अंग-अंग से, पोर-पोर से जीत की खुशी छलक रही थी। उसका बरसों का संजोया सपना जो पूरा हुआ था। उसकी दो बरसों की साधना का परिण…
खोल धारा 144 थी, नई दिल्ली के संवेदन-शील इलाकों के मेट्रो स्टेशन अगली सुचना तक कई दिन से बंद थे । एक बहुत ही संवेदन-शील बाराखम्बा बस-स्टॉप पे …
फिज़ा में फैज़ कथाकार प्रेम भारद्वाज (संपादक पाखी) आपमें से किसी ने सुनी है पचहत्तर साल के बूढ़े और तीस साल की जवान लड़की की कहानी। न…
आलोचनात्मक ढंग से चर्चा में आयी अनुराग कश्यप की दो भागों में पूरी हुई फिल्म गैंग ऑफ वासेपुर से एक बार फिर हिन्दी सिनेमा में सिने-भाषा को लेकर ब…
अरविन्द कुमार 'साहू' खत्री मोहल्ला, ऊंचाहार राय बरेली - 229404 फाल्गुनी मुक्तक (1) कहीं अपना सा लगे ,कहीं पराया फागुन । आम के बौ…
पहला भाग दूसरा भाग वो स्टेशन पर उतरते ही ऐसे उठा ली गई जैसे कोई फुटपाथ पर पड़ा सिक्का उठा ले! ट्रेन रुकी ही थी कि एक आदमी ने …
हैदराबाद में बीते गुरुवार को हुए धमाकों पर स्वाभाविक ही विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया और संसद के दोनों सदनों में खुफिया तंत्र की नाकामी प…