कि मैं और मेरा कुछ नहीं है — सत्येंद्र प्रताप सिंह | #विपश्यना
A Soofi in the Brothel — Prakash K Ray
हिमालयन इकोज़ : कुमाऊँ फेस्टिवल ऑफ़ लिटरेचर एंड आर्ट्स
भवतु सब्ब मंगलं  — सत्येंद्र प्रताप सिंह | #विपश्यना
उर्दू को कोई ख़तरा नहीं है
हाईस्कूल-इंटर के दिन याद आ गए — सत्येंद्र प्रताप सिंह | #विपश्यना
गीता चंद्रन के भरतनाट्यम में भक्ति प्रवाह — भरत तिवारी #ClassicalMusic #Bharatnatyam
कपिल मिश्रा : न्यू इंडिया पुराने तरानों पर नहीं बनेगा #RightSide
21वीं सदी का ज़फर: एम्ऍफ़ हुसैन वाया पार्थिव शाह — भरत तिवारी #photography

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