गुलज़ार - खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? #Gulzar Nazm - Khali Kagaz...

खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?

गुलज़ार


खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।

डाक से आया है तो कुछ कहा होगा
"कोई वादा नहीं... लेकिन
देखें कल वक्त क्या तहरीर करता है!"

या कहा हो कि... "खाली हो चुकी हूँ मैं
      अब तुम्हें देने को बचा क्या है?"



सामने रख के देखते हो जब
सर पे लहराता शाख का साया
हाथ हिलाता है जाने क्यों?
कह रहा हो शायद वो...
"धूप से उठके दूर छाँव में बैठो!"

सामने रौशनी के रख के देखो तो
सूखे पानी की कुछ लकीरें बहती हैं

"इक ज़मीं दोज़ दरया, याद हो शायद
   शहरे मोहनजोदरो से गुज़रता था!"

उसने भी वक्त के हवाले से
उसमें कोई इशारा रखा हो... या
उसने शायद तुम्हारा खत पाकर
सिर्फ इतना कहा कि, ''लाजवाब हूँ मैं!''
बोस्कियाना, 
पाली हिल, बान्द्रा (पश्चिम), मुम्बई-400050 साभार नया ज्ञानोदय

एक टिप्पणी भेजें

4 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

बारहमासा | लोक जीवन और ऋतु गीतों की कविताएं – डॉ. सोनी पाण्डेय
काली-पीली सरसों | ज्योति श्रीवास्तव की हिंदी कहानी | Shabdankan
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
चतुर्भुज स्थान की सबसे सुंदर और महंगी बाई आई है
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया