'वर्तमान साहित्य' अगस्त–सितम्बर, 2014 दुर्लभ साहित्य विशेषांक
!['वर्तमान साहित्य' अगस्त–सितम्बर, 2014 दुर्लभ साहित्य विशेषांक | Vartman Sahitya (Online) - Aug Sep 2014 [89]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhuZMC5OIrZriLJuWmnMOu67cN3jW7AOz_NKVCjzIPPj8KVtj1qyy2PvN_Cdwqo0MRLwNS5iknd2VBT5XlElZUQJi5fhLLak9IkKQ68rUjwoa0G1IoIMyw9Au7Kuo6r7e0EA8thoIyEtNBc/s320-rw/vartman_sahitya_hindi_magazine_August-sep-2014-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E2%80%93%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0-%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%AD-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%95.jpg)
विज्ञान और युग — जवाहरलाल नेहरू
हिंदू संस्कृति — डा. राममनोहर लोहिया
हिंदी, उर्दू, हिंदुस्तानी — अमरनाथ झा
सभ्यता — डाक्टर ताराचंद
इतिहास का सांप्रदायिक दुरुपयोग — प्रो. रामशरण शर्मा
साहित्य जनसमूह के हृदय का विकाश है — पं. बालकृष्ण भट्ट
आलोचना और अनुसन्धान — परशुराम चतुर्वेदी
समाजशास्त्रीय आलोचना — डॉक्टर देवराज
‘रामचरितमानस’ का रचना–क्रम — डॉक्टर कामिल बुल्के
साहित्य में संयुक्त मोर्चा ? — शिवदान सिंह चौहान
साहित्यिक ‘अश्लीलता’ का प्रश्न — विजयदेव नारायण साही
यथार्थवाद — डा. वासुदेवशरण अग्रवाल
छायावाद क्या है ? — मुकुटधर पांडेय
हिन्दी पत्र–पत्रिकाओं का विकास — डॉक्टर रामरतन भटनागर
छोटी पत्रिकाएँ — नागेश्वर लाल
कवि–मित्र नरेन्द्र शर्मा की याद में — केदारनाथ अग्रवाल
राहुल जी के घर में सात दिन — डॉ. ईश्वरदत्त शर्मा
‘मतवाला’ कैसे निकला — शिवपूजन सहाय
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (१९२७–१९८३) — अमरकांत
निर्णय इतिहास करेगा — मिखाइल गोर्बाचेव और गैब्रील मार्क्वेज़ के बीच बातचीत
जार्ज लूकाच से एक भेंट — रामकुमार
आलोचना के जोखिम — नामवर सिंह से कवि केदारनाथ सिंह की बातचीत
मुक्तिबोध के पत्र — श्रीकांत वर्मा के नाम
स्वर्गीय ‘नवीन’ जी के कुछ पत्र — लक्ष्मीनारायण दुबे
हिन्दी–साहित्य का इतिहास — शिवपूजन सहाय
कंकावती १९६४ : राजकमल चौधरी — सुरेन्द्र चौधरी
उत्तरी भारत की संत–परम्परा — नामवर सिंह
रेणुजी का ‘मैला आँचल’ — नलिन विलोचन शर्मा
निराला की साहित्य–साधना “प्रथम खंड” जीवन–चरित — भगवत शरण उपाध्याय
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1 टिप्पणियाँ
बहुत बढ़िया।सफल व आत्मीय प्रयास
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