समय को समझने की कुछ और कोशिशें प्रियदर्शन की कवितायेँ एक समय वह अदृश्य झरना है जो हमारे आंसुओं से बनता है बेआवाज वह अनुपस्थिति …
आगे पढ़ें »बेड़ियाँ तोड़े बिना आगे जा पाना असंभव है ... हिंदी साहित्य की यही रुढ़ीवादी बेड़ियां पाठक को अन्य भाषाओँ के साहित्य की तरफ मुड़ने को 'मजबूर' क…
आगे पढ़ें »दिनेश कुमार शुक्ल की तीन कवितायें खिलखिलाहट .................................... 1 तुम से बात करना अब और कठिन तुम्हार…
आगे पढ़ें »उस रोज़ नरेश सक्सेना जी का जन्मदिन था, नरेश जी बेहतरीन कवि... संयोग से 16 जनवरी 2014 की उस शाम मैं भी लखनऊ में था, उनके साथ था. और फिर उन्होंने…
आगे पढ़ें »इंदिरा दाँगी के आगामी उपन्यास ‘रपटीले राजपथ’ का अंश इन कहानियों को ज़रा सुधारने के बदले मे इतना बड़ा सम्मान हाथ से कोई स्थापित साहित्यकार भी नही…
आगे पढ़ें »साहित्य अकादमी सम्मान , नेहरु सम्मान, ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित ओड़िआ उपन्यासकार पद्मभूषण गोपीनाथ महांति की जन्मशती आगामी १-२ फरवरी को साहित्य अ…
आगे पढ़ें »कहानी सिरी उपमा जोग शिवमूर्ति किर्र-किर्र-किर्र घंटी बजती है। एक आदमी पर्दा उठाकर कमरे से बाहर निकलता है। अर्दली बाहर प्रतीक्षारत लोग…
आगे पढ़ें »‘सार्थक’ पहल के साथ जेएलएफ में उतरेगा राजकमल प्रकाशन गुलाबी शहर में साल की शुरूआत में ही आयोजित होने वाले सबसे बड़े साहित्य महोत्सव- जयपुर लिट…
आगे पढ़ें »वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 31 अंक 12 दिसम्बर, 2014 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया संपादक: विभूति नारायण राय …
आगे पढ़ें »कहानी नये साल की धूप सुभाष नीरव स्मृतियाँ अकेले आदमी का पीछा नहीं छोड़तीं। बूढ़े अकेले लोगों का सहारा तो ये स्मृतियाँ ही होती हैं जिनमें खोक…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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