बाक़र गंज के सैयद 3 ~ असग़र वजाहत मीर जाफर के इतिहास में जाने के लिए पिछली कड़ी, मतलब बंगाल के सूबेदार अलीवर्दी ख़ाँ के युग से बात शुरू करना …
आगे पढ़ें »तस्वीरें और 'राजनीति की सांस्कृतिक चेतना' ~ भरत तिवारी 31 जुलाई 2015 को ग़ालिब ऑडिटोरियम में प्रेमचंद जयन्ती और हंस की तीसवीं वर्षगाँ…
आगे पढ़ें »सुरेन्द्र राजन ~ असग़र वजाहत की यादें सुरेन्द्र राजन को कौन नहीं जानता. जिसे फिल्म, कला और साहित्य में गंभीर दिलचस्पी होगी वह राजन जी को न …
आगे पढ़ें »अनंत विजय - आज याकूब की फांसी की सजा पर छाती कूटनेवालों को उन परिवारों के दर्द का एहसास नहीं है जो 1993 के बम धमाकों में मारे गए थे... …
आगे पढ़ें »डॉ. नामवर सिंह अपना सिर पकड़ कर बैठ गए और बोले कि आप लोग किसी शरीफ आदमी के यहां जाने लायक नहीं हैं। आप लोग क्षमायाचना कीजिए। और क्षमायाचना …
आगे पढ़ें »सारे रंगों वाली लड़की कल किसी ने याद दिलाया इन कविताओं को, ये 'बहुवचन अंक 41', अप्रैल-जून 2014 में प्रकाशित हुईं थीं... कविता: भरत …
आगे पढ़ें »बैंगनी फूलों वाला पेड़ ~ स्वाति तिवारी चाणक्यपुरी वाला हमारा सरकारी बंगला, जहां दिल्ली, दिल्ली है ऐसा कम ही लगता। साफ-सुथरा वीआईपी एरिया। इ…
आगे पढ़ें »आइए, कहानी-कविता चुराएं ~ अशोक मिश्र अशोक मिश्र पिछले 23-24 वर्षों व्यंग्य लिख रहे हैं। कई छोटी-बड़ी पत्र-पत्रिकाओं में खूब लिखा। …
आगे पढ़ें »ईद मिलन पर भारत-पाक मिलन का संदेश ~ बजरंगी भाईजान फिल्म समीक्षा निर्देशक - कबीर खान कलाकार - सलमान खान, करीना कपूर खान, हर्षाली म…
आगे पढ़ें »मुईन अहसान 'जज़्बी' ~ असग़र वजाहत की यादें मुईन अहसान 'जज़्बी' उर्दू के मशहूर आधुनिक शायरों में थे. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद…
आगे पढ़ें »चार ग़ज़लें ~ प्राण शर्मा खामियाँ सबकी गिनाना दोस्तो आसान है / खामियाँ अपने गिनाना दोस्तो आसां नहीं परखचे अपने उड़ाना दोस्तो आसां …
आगे पढ़ें »अमरीका ~ तस्लीमा नसरीन कब शर्म तुम्हें आएगी अमरीका ? कब समझ तुम्हें आएगी अमरीका ? कब रोकोगे तुम ये अपना आतंकवाद अमरीका? कब जीने …
आगे पढ़ें »'वर्तमान साहित्य' जुलाई, 2015 साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 7 जुलाई, 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया …
आगे पढ़ें »हया को त्याग चुकी सरकार ~ संजय सहाय इमरजेंसी के 40 वर्षों बाद उसे अबकी बार व्यापक रूप से ‘मनाया’ जा रहा है. उस वक्त वे एक दिन के लिए भी जे…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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