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  1. चारों कविताओं में गज़ब का कटाक्ष है जो चुभता है . आज का नीरो में जम्मेदारी से मुँह छुपाने वालों पर करारा व्यंग्य है यथार्थ है . इसी तरह होसलाअफजाई और न्याय ...अन्तिम कविता तो और भी मारक है कम शब्दों में इतनी भेदक बात --जब कोई दूसरा न होगा तब वे तुममें से ही दूसरा ढूँढ़ लेंगे और उसके साथ वहीं करेंगे ....आनन्द आ गया . लगा कि कुछ अच्छा पढ़ने मिला .

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  2. बहुत ही सुंदर व्यंग्यपूर्ण रचनाएँ माई जीवन दर्शन

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आज का नीरो: राजेंद्र राजन की चार कविताएं


कवि राजेंद्र राजन जी की इन कविताओं को पढ़ने के बाद... 
कुछ कवि अपना धर्म निभा रहे हैं और बाकियों को कवि कहा, सोचा ही क्यों जाए! भरत एस तिवारी/ शब्दांकन संपादक


आज का नीरो | न्याय | हौसला आफजाई | दूसरा

राजेंद्र राजन

वैचारिक पत्रिका सामयिक वार्ता के पूर्व कार्यकारी संपादक। जनसत्ता के सेवानिवृत्त वरिष्ठ संपादक। एक कविता संग्रह बामियान में बुद्ध । प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक नारायण देसाई की किताब माइ गांधी का मेरे गांधी नाम से हिंदी अनुवाद।



आज का नीरो

कहते हैं एक ज़माने में
जब रोम जल रहा था
तब वहां का शासक नीरो
बंसी बजा रहा था।

लेकिन आज का नीरो
क्या कर रहा है
जब शहर जल रहा है?

नहीं, आराम से एक कोने में बैठ
वह बंसी नहीं बजा रहा
खिड़की से आसमान में लपलपाती लपटें देख
वह बंसी जरूर बजाना चाहता है
पर उसकी कल्पना की उत्तेजना
उसे चैन से बैठने नहीं देती

अपने विशाल कक्ष में
वह बेचैन कदमों से चक्कर काटता है
ठिठक-ठिठक कर घड़ी की ओर देखता है
उंगलियों पर कुछ हिसाब लगाता है
दीवार पर टंगे नक्शे पर
बार-बार नज़र फिराता है
गुस्से में कुछ बुदबुदाता है
हवा में ज़ोर-ज़ोर से हाथ लहराता है
मानो कोई नारा लगाने के लिए ललकार रहा हो
फिर भाषण देने की मुद्रा बनाता है
मानो कोई अदृश्य उत्सुक भीड़ सामने मौजूद हो
फिर पीछे की तरफ मुड़ता है
मानो सभा को संबोधित करके लौट रहा हो
कुछ पल ठिठक कर
खिड़की से बाहर का मंज़र देखता है
माथे का पसीना पोंछता है
फिर सोफे पर बैठ जाता है
मोबाइल पर कुछ मैसेज पढ़ता है
फिर कुछ कागज फाड़ता है
हथेलियां रगड़ता है
फिर खड़े होकर अकड़ता है
मानो सामने कोई दुश्मन खड़ा हो।

फोन की घंटी लगातार बजती रहती है
उसका सहायक फोन उठाने के लिए आता है तो उसे भगा देता है
फिर कुछ देर बाद सहायक को बुलाकर कहता है
अधिकारियों से कह दो आदेश का इंतजार करें।

अब जब शहर काफी-कुछ जल चुका है
हवा ख़ून की गंध से भारी है
वातावरण चीखों से भर गया है
तब वह एक फिक्र से घिर गया है
जो हुआ उसे किस रूप में याद किया जाएगा?
इसी फिक्र में वह उच्चाधिकारियों की बैठक बुलाता है
उन्हें कुछ निर्देश और
कुछ सावधानियां बरतने की हिदायत देता है
फिर जांच का निष्कर्ष बताकर
जांच का आदेश देता है
ख़ुद के होते हुए
सबके सुरक्षित होने का दम भरता है
और चेहरे को गमगीन बनाते हुए
शांति की अपील जारी करता है।
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न्याय

भेड़िये की शिकायत पर
मेमने के खिलाफ
दर्ज कर ली गई एफआइआर।

भेड़िये को जान से मारने के इरादे से
हमला करने का आरोप है
मेमने के खिलाफ।

मेमने को
कर लिया गया गिरफ़्तार।

इस गिरफ़्तारी पर तमाम मेमने खूब मिमियाए
फिर उन्हें चुप करने की खातिर
एक समिति बनाई गई और उसे कहा गया
कि जल्दी से सच्चाई का पता लगाए।

जांच की रिपोर्ट बताती है कि
मेमने के शरीर पर
दांत और नाखून के गहरे निशान हैं
मगर रिपोर्ट अंत में कहती है
कि भेड़िये ने जो-कुछ किया वह आत्मरक्षा में किया।

इस जांच-रिपोर्ट के बाद
तमाम भेड़िये गुस्से में हैं
और गुर्रा-गुर्रा कर मांग कर रहे हैं
कि हमलावर मेमने को ऐसी सख्त सज़ा दी जाए
कि न्याय के इतिहास में एक मिसाल बन जाए।

फैसला आना बाकी है
मेमना कांप रहा है
भेड़िया मुस्करा रहा है।
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हौसला आफजाई

जिसने आग लगाई
उसी ने शिकायत दर्ज कराई
उसी शिकायत के आधार पर
उसे पकड़ लिया गया
जो आग बुझा रहा था।

फिर एक दिन बाद
उसे भी पकड़ लिया गया
जिसने आग बुझाने में मदद की थी
फिर अगले रोज उसे भी पकड़ लिया गया
जिसका घर जलकर राख हो गया था
फिर दो दिन बाद उसे भी पकड़ लिया गया
जिसने यह सवाल उठाया था
कि हम कब तक यह सब सहन करेंगे
और जिसने इसके जवाब में कहा था
आइंदा हम ऐसा नहीं होने देंगे
उसे भी तीन दिन बाद पकड़ लिया गया।

और फिर अंत में
एक जांच बिठाई गई
जिसमें इन सबको दोषी ठहराया गया।

जिसने आग लगाई थी
उसे एक दिन बड़ी-सी कुर्सी मिल गई
फिर आग लगानेवाले और भी निकल आए।
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दूसरा

जब दूसरा नहीं होगा
तब वे तुममें से ही
कोई दूसरा ढूंढ़ लेंगे
फिर उसके साथ वही करेंगे
जो उस दूसरे के साथ किया था।



राजेंद्र राजन
संपर्क
161, ग्राउंड फ्लोर, गली नं. 15, प्रताप नगर, मयूर विहार फेज-1, दिल्ली-91
मोबाईल: 9013932963

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  1. चारों कविताओं में गज़ब का कटाक्ष है जो चुभता है . आज का नीरो में जम्मेदारी से मुँह छुपाने वालों पर करारा व्यंग्य है यथार्थ है . इसी तरह होसलाअफजाई और न्याय ...अन्तिम कविता तो और भी मारक है कम शब्दों में इतनी भेदक बात --जब कोई दूसरा न होगा तब वे तुममें से ही दूसरा ढूँढ़ लेंगे और उसके साथ वहीं करेंगे ....आनन्द आ गया . लगा कि कुछ अच्छा पढ़ने मिला .

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