भारत में पोस्टर कला को एक दोयम दर्जे की कला माना जाता है जबकि इसके उलट पूरी दुनिया में इसे ललित कलाओं के समान सम्मान दिया जाता है — नलिन …
आगे पढ़ें »फिल्म समीक्षा ''वो फलसफा है प्रेम का प्रेम के लिए प्रयास करने का जिसे आप प्रेम करते हैं उसे बताना चाहिए कि ... हां, मुझे तुमस…
आगे पढ़ें »फिल्म समीक्षा एक जिद्दी जज्बा दिव्यचक्षु मेरी कॉम निर्देशक- ओमंग कुमार कलाकार- प्रियंका चोपड़ा निर्देशक ओमंग कुमार की फिल्…
आगे पढ़ें »सिनेमा और हिंदी साहित्य इकबाल रिज़वी भारत में फिल्मों ने 100 वर्षों की यात्रा पूरी कर ली है । दरअसल वह अपने दौर का सबसे बड़ा चमत्कार था जब हिलत…
आगे पढ़ें »"वो लोग तुम्हें अतीत में जीने के लिए मजबूर करेंगे लेकिन तुमको आने वाले कल के लिए जीना होगा ।" शाहिद की ज़िंदगी से दूर जा चुकी मरियम ने ये…
आगे पढ़ें »ट्यूनेशियाई मूल के फ्रेंच निदेशक अब्दुल लतीफ केचीचे की फिल्म ‘ ब्लू इज द वार्मेस्ट कलर’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ‘पाम डि ओर’ पुरस्कार दिए जाने क…
आगे पढ़ें »नयी सदी के प्रयोगधर्मी फिल्मकार- सुनील मिश्र नयी सदी के सिनेमा में बाजारू सिनेमा के समानान्तर एक धारा और विकसित होते हम देख रहे हैं। हमार…
आगे पढ़ें »आलोचनात्मक ढंग से चर्चा में आयी अनुराग कश्यप की दो भागों में पूरी हुई फिल्म गैंग ऑफ वासेपुर से एक बार फिर हिन्दी सिनेमा में सिने-भाषा को लेकर ब…
आगे पढ़ें »सिनेमा के सौ साल पूरे होने की ख़ुशी में हो रहे आयोजनों में हिंदी पत्र पत्रिकाएं भी अपनी जिम्मेवारी से दूर नहीं हैं, हाँ कुछ पत्रिकाओं ने इस…
आगे पढ़ें »‘पथेर पांचाली’ (1955) से लेकर ‘आगंतुक’ (1991) तक सत्यजित राय ने पूरे छत्तीस वर्ष काम किया और छत्तीस फिल्में बनाईं. यानी हर साल एक फिल्म. मगर औ…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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