पूरे मुल्क को लगना है चासास्का का चस्का - संजीव कुमार
कवितायेँ - ऐन सूरज की नाक के नीचे : सुमन केसरी
दो गज़लें - मूसा खान अशांत
कवितायेँ - रविश ‘रवि’
कविताएँ  -  कल्याणी कबीर
कहानी: तमाशा  - सुश्री कविता
मिट्टी की संजीवनी - इन्दुमति सरकार
नक्सलवादियों की लड़ाई जल, जंगल और ज़मीन की सामूहिक लड़ाई है - राजेन्द्र यादव
आपदा भी अवसर है - सुशील सिद्धार्थ

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हमारी ब्रा के स्ट्रैप देखकर तुम्हारी नसें क्यों तन जाती हैं ‘भाई’? — सिंधुवासिनी
ब्रिटेन में हिन्दी कविता कार्यशाला - तेजेंद्र शर्मा
दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी