चर्चा में दो किताबें गोधरा दंगों के बाद मोदी पर दो लेखकों के विरोधाभासी तर्क ------------------------------------------------- दो क…
आगे पढ़ें »विनोद तिवारी और समकालीन आलोचना रचनाकार का यह आरोप कि, आलोचक ने उसकी रचना को समझा ही नहीं है, उसने अपने मन और विचार से असंगत निष्कर्षों को मेरी…
आगे पढ़ें »मीडिया का अतिरेकी आचरण - अशोक मिश्र देखते ही देखते वर्ष 2013 धीरे से विदा हो गया और एक नए साल के साथ ही हम वर्ष 2014 में आ पहुंचे हैं । अगर ह…
आगे पढ़ें »नारे विकास के हों, सपने भविष्य के हों, बातें सुशासन की हों, दावे कड़क कप्तानी के हों, तेवर टनाटन ओज के हों, और टीका हिन्दुत्व का हो, तो फिर और क्य…
आगे पढ़ें »तमंचे की नोक पर स्त्री लेखन और हाशिए उलांघती औरत - गीताश्री समय बदला, तकनीक बदली, दुनिया की शक्लो सूरत बदल गई, रहन सहन बदल गए, जीवन शैली बदल …
आगे पढ़ें »' नयी सदी की दहलीज पर ', हिन्दी आलोचना के लिए वर्ष 2013 का 'देवीशंकर अवस्थी सम्मान' युवा आलोचक विनोद तिवारी को उनकी 2011 में प्रक…
आगे पढ़ें »अरे! देखिए वो यहाँ तक कैसे पहुंच गई... उसने जल्दबाज़ी में बाथरूम का नल बंद किया और आगे के कमरे में बैठे अपने पति को चिल्लाते हुए आवाज़ लगाई। पति जो…
आगे पढ़ें »28-29 मार्च 2014 को स्कूल आॅफ इंटरनेशनल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के कमेटी रूम नं 203 में ‘हाशिये उलांघती औरत’ के…
आगे पढ़ें »राग देश अथ श्री गिरगिटिया चश्मा कथा! - क़मर वहीद नक़वी चुनाव गरम है. चाय ठंडी हो चुकी है! लड़ाई घनघोर है. कहते हैं, युद्ध और प्रेम में सब क…
आगे पढ़ें »चौं रे चम्पू बैंकाक क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन —अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! बैंकाक के हिंदी सम्मेलन के बारे में चौं नायं बतावै? —आप जानना …
आगे पढ़ें »आततायी की प्रतीक्षा - अशोक वाजपेयी एक सभी कहते हैं कि वह आ रहा है उद्धारक, मसीहा, हाथ में जादू की अदृश्य छड़ी लिए हुए इस बार रथ पर नहीं,…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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