धामा अपने गुस्से को छिपाकर अचानक संयत हो गया. उसने कपट की अधिकता से हल्की हो गई आवाज में कहा, "देख रहे हैं सर...आप भी देखते जाइए. याद…
आगे पढ़ें »हम नहीं चंगे बुरा न कोय “पल्प फिक्शन”, 2004 के इकॉनोमिक टाइम्स में यह आर्टिकल छपा था, शायद वह पहली दफा था जब मैंने अपने लड़कपन के प्रिय…
आगे पढ़ें »दारा शिकोह का पुस्तकालय और औरंगज़ेब के आंसू! — बोधिसत्व शाहजहां जब बादशाह था उसके बड़े बेटे दारा शिकोह ने अपने लिए एक पुस्तकालय ब…
आगे पढ़ें »नेमि शती 1919-2019 समारोह, हिंदी, साहित्य, नाट्य और संगीत प्रेमियों के लिए! यह वर्ष प्रख्यात साहित्य-कलाकर्मी स्व० नेमिचन्द्र जैन की जन…
आगे पढ़ें »बस 2 मिनट बोलो :: असग़र वजाहत बस 2 मिनट बोलो 2 मिनट में अपना सारा दुख सुख अपनी व्यथा अपना दर्द अपना भूत और अपना भविष्य कह डालो 2 …
आगे पढ़ें »हिंदी में हिंदी पर हिंदी के साथ हिंदी वालों में हो रही उठापटक, स्वामित्व और वर्चस्व की लड़ाई के बीच कहानीकार जयश्री रॉय की कहानी 'स्वप्नदंश&…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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