कहानी: कतार से कटा घर- अनिलप्रभा कुमार

कहानी: कतार से कटा घर- अनिलप्रभा कुमार

कहानी 

कतार से कटा घर

अनिलप्रभा कुमार

स्कूल की बस सड़क के किनारे रुकी तो हम तीनो बस्ते सम्भाल कर खड़े हो गए । बस ड्राइवर ने बटन दबाया और एक तीन फ़ुट की लम्बी–सी लाल पट्टी खिंच कर बाहर निकल आई जैसे किसी ट्रैफ़िक-पुलिस वाले की बांह हो। उसके सिरे पर लाल अष्टकोण सा हाथ, जिस पर सफ़ेद अक्षरों से लिखा था - स्टॉप। दोनों तरफ़ की कारें जहां की तहां रुक गईं – बच्चे उतर रहे हैं। रुकना क़ानून है। ड्राइवर ने बस का दरवाज़ा खोल दिया। स्कॉट और अनीश मुझसे पहले उतरकर, पीठ पर बस्ता झुलाते, गप्पें मारते जा रहे थे और मैं उनके पीछे चुपचाप चलता गया। वह ऐसे चलते हैं जैसे मै होऊं ही नहीं ।

“होम-वर्क करने के बाद मेरे घर आ जाना, बेसबॉल खेलेंगे।“ स्कॉट ने बांयी ओर अपने घर की ओर मुड़ते हुए ज़ोर से कहा।

“हाँ, आ जाऊंगा। तेरे डैडी तो बॉल फेंक कर प्रैक्टिस करवा ही देंगे। कुछ बेचारों के घर में तो कोई मर्द ही नहीं होता । बेचारे ! च्च च्च। “ कहकर अनीश मेरी ओर देखकर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा।

जी में आया कि एक ज़ोर का घूंसा मारकर इसके सारे दांत तोड़ दूं। वह ऐसे घटिया तानों के बंटे मेरी ओर अक़्सर फेंकता रहता है । एक ही पड़ोस में रहते हैं हम सभी पर मुझे कभी खेलने के लिए नहीं बुलाते और न ही कभी मेरे घर आते हैं। हालांकि यह एक बड़ा निजी सा पड़ोस है, शहर के सबसे अमीर इलाक़े में। पांच घर दांये और पांच घर बांये और दोनों कतारों के बीच में ग्यारहवां घर हमारा जहां आकर सड़क रुक जाती है। मेरा घर न दांयी कतार में आता है और न बांयी कतार में । बस कतारों से कटा हुआ है ।

अनीश का घर दायी कतार में है । मुड़ने से पहले उसका हाथ मुझे बॉय करने के लिए उठा पर सामने गेट पर उसकी मम्मी खड़ी उसका इंतज़ार कर रही थी । अनीश ने अपना हाथ नीचे गिरा लिया और जल्दी से अन्दर भाग गया ।

मैं भी उन को अनदेखा कर अपने घर चला गया । शर्ली मम्मी हमेशा मेरे आने के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ देती हैं पर उनके कान दरवाज़े की ओर ही होते हैं ताकि मेरे आने की आहट सुन सकें । मुझे बहुत अच्छा लगता है यह ।

मम्मी ने पास आकर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा, “कैसा रहा मेरे बेटे का दिन?”

“ठीक था।“ कहकर मैं ऊपर अपने कमरे की ओर भाग गया। ज़मीन पर बस्ता फेंककर ख़ुद को भी पलंग पर फेंक दिया। रुलाई छूट रही थी। मिशेल मॉम और शर्ली मम्मी को क्या पता कि उनकी वज़ह से मेरे साथी मुझ पर कैसी तानाकशी करते हैं। आज मुझे अपनी दोनों मम्मियों पर बहुत ग़ुस्सा आ रहा है। वे तो बहुत बहादुर हैं। कहती हैं हम अपनी शर्त्तों पर जी रही हैं पर मेरे बारे में कुछ नहीं सोचतीं कि लड़के मुझे कितना छेड़ते हैं। आज प्ले-ग्राउंड में डेविड और अनीश ने मुझे जान- बूझकर धक्का मार दिया । मेरी कोहनी छिल गई और आंखो में आंसू आ गए तो वे लोग हंसने लगे- “औरतों के साथ रहेगा तो रोएगा ही न ?’’

मै चुपचाप उठकर चलने लगा तो पीछे से जेरेमी ने भी चलते हुए मुझे अड़ंगी मार दी । मैं गुस्से से पलटा तो वह भी ऐसे ही हंसने लगा था। “ अरे ! तुझे शेव करना कौन सी मम्मी सिखाएगी ? ”

“ मेरे डैड सिखा देंगे, इसमें कौन सी बड़ी बात है।“ मैक्स ने बड़ी लापरवाही से कहा और मुझे खींचकर दूर ले गया।

मैं तो चुप रहता हूं। शर्ली मम्मी कहती हैं, “ध्यान ही मत दो। एक कान से सुनो और दूसरे से निकाल दो। इतना आसान होता है क्या? मिशेल मॉम तो नर्सरी राइम ही गुनगुनाना शुरु कर देती हैं । मैं भी तो मन ही मन यही कहता रहता हूं – ’स्टिक अंड स्टोन्स, मे ब्रेक माइ बोन्स, बट वर्डस विल नैवर हर्ट मी।’ तभी तो ढीठ बना मुस्कराता रहता हूं। पर बातें ही तो सबसे ज़्यादा तक़लीफ़ देती हैं। कोई ऐसा दोस्त भी तो नहीं है मेरा जिससे मैं अपने दिल की बात करूं। मैक्स मेरा दोस्त है। वह अच्छा भी है पर उससे भी यह ख़ास बात कहते डरता हूं कि कहीं वह दोस्ती ही न तोड़ दे ।

मै अनमना सा अपनी किताबें और कॉमिक बुक्स पलटने लगा। मेरे हाथ में अपनी बनाई हुई तस्वीर आ गई “मेरा परिवार”। किन्डरगार्डन में था , तब की । इसकी वजह से ही क्लास में मेरा मज़ाक बना था। टीचर ने कहा था सभी बच्चे अपने परिवार की तस्वीर बनाओ। तभी मैने अपने परिवार की यह पेन्टिंग बनाई थी । जिसमें दोनों मम्मियां मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मै बेसबॉल हैट पहन कर बीच में मुस्करा रहा हूं । ज़ैरा पास ही घास पर लेटी है।

टोनी ने दीवार पर लगाने के लिए सब की तस्वीरें इकट्ठी कीं । अनीश मेरी पेंटिग देख कर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा। मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आया।

“परिवार में दो मम्मियां थोड़े-ही होती हैं, बुद्धू ! “

“पर मेरी तो दो मम्मियां ही हैं ।“ मैं परेशान सा हो गया।

अनीश ने टोनी से चित्र खींच कर मेरे आगे फेंक दिया।

“नहीं, बिल्कुल नहीं होतीं !“ टोनी ने भी अनीश का साथ दिया।

मैने अपनी पेंटिंग वापिस बस्ते में रख ली। तब तक छुट्टी की घंटी बज चुकी थी।

उस दिन मैं बहुत चुप था। सोच रहा था कि किससे बात करूं? वैसे तो मेरी दोनो ही मम्मियां मुझे बहुत प्यार करती हैं। कभी-कभी सोचता हूं कि मैं कितना क़िस्मतवाला हूं कि मुझे दो-दो मांओ का प्यार मिलता है । स्कॉट के ममी डैडी तो हर वक्त लड़ते ही रहते हैं । कभी- कभी तो हमारे घर तक भी आवाज़ आ जाती है। एक बार सबके सामने ही उन्होंने स्कॉट को तमाचा जड़ दिया था । मैक्स ने बताया कि वह तो स्कॉट की मम्मी की भी पिटाई कर देते हैं। हमारे घर में तो कोई ऊंची आवाज़ में बात तक नहीं करता । दोनों ही मॉम मेरे होमवर्क में मदद करती हैं और जब वक्त मिले तो खेलती हैं, बातें करती हैं ।

मिशेल मॉम ने ही मुझे बताया था कि “गे” का मतलब क्या होता है? जब एक ही लिंग के दो लोग आपस में प्रेम करते हैं और अपना जीवन साथ बिताना चाहते हैं तो वे लोग “गे” कहलाते हैं। वे दो मॉम भी हो सकती हैं और दो डैड भी ।

बस, इतनी सी बात ! इसके बाद मुझे कुछ और जानने में दिलचस्पी ही नहीं हुई। मुझे क्या फ़र्क पड़ता है , जब तक हमारे परिवार में सब प्यार से रहते हैं। स्कॉट के मम्मी–डैडी की तरह हर वक्त लड़ते तो नहीं !

अगले दिन टीचर ने जब मेरी पेंटिंग के बारे में पूछा तो मैने धीरे से पास जाकर बता दिया कि अनीश और टोनी कहते हैं कि दो मम्मियां नहीं हो सकतीं पर मेरी तो दो मम्मियां हैं। इसलिए मैं अपनी पेंटिंग नहीं दे सकता !

टीचर चुप हो गई ! उसने सबकी तस्वीरें हाथ में पकड़ लीं और हम सबको अपने पास आने को कहा । एक-एक करके वह सब तस्वीरें दिखाने लगीं। सब तस्वीरें एक दूसरे से अलग थीं । किसी में एक मां और दो बच्चे ! किसी में एक बच्चा और दो मम्मी–डैडी ! किसी मे सिर्फ़ डैडी और दो बच्चे। ऐसे ही टीचर सब की तस्वीरें दिखाती गई ।

“देखा तुमने। हर परिवार अपने आप में ख़ास होता है । परिवार प्यार से बनता है इसलिए दो मम्मियों वाला परिवार भी हो सकता है और दो डैडियों वाला भी।“

मैने अपनी पेंटिंग टीचर को दे दी । उसके बाद से उस स्कूल में मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा।

पर आज स्कूल वाली घटना से मुझे लगा कि हमारे घर में शायद कुछ अटपटा है। शाम को जब मैं मॉम और मम्मी के बीच बैठकर टेलीविज़न देख रहा था - कोई फ़ैमिली प्रोग्राम, तो वही एक बात मुझे तंग किए जा रही थी कि मेरी फ़ैमिली कुछ अलग है।

“मॉम, क्या हम लोग अजीब हैं ? औरों जैसे नहीं हैं ?”

दोनों मम्मियां चुप हो गईं। एक-दूसरे को देखने लगीं। मुझे लगता है कि दोनों मम्मियों के बीच कुछ है, कोई जादू जैसा। वह बस एक-दूसरे की ओर देखती हैं और आपस की बात समझ जाती हैं । कुछ है उन दोनों के रिश्ते के बीच कि उसका गुनगुनापन मुझे और ज़ैरा को भी छूता रहता है ।

शर्ली मम्मी ने खींच कर मुझे अपने पास बिठा लिया । मेरे बाल सहलाने लगीं।

“नहीं रॉबी, हम लोग बिल्कुल अजीब नहीं। जब से दुनिया बनी है, हर समय, हर समाज और हर धर्म में इस तरह के लोग होते हैं जिनकी पसन्द अलग- अलग होती है। वह जान-बूझ कर ऐसा नहीं करते। वह होते ही ऐसे हैं। बस, ज़्यादातर लोग इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि कोई उनसे अलग तरह की सोच या पसन्द वाला इन्सान भी हो सकता है। इसलिए कई देशों में उन्हें जेल में डाल देते हैं , यातनाएं देते हैं।“

“रेत में सिर छुपा लेने से तो तूफ़ान को नहीं नकारा जा सकता। लोग इस बात को मानना ही नहीं चाहते इसीलिए ज़्यादातर लोग अपने सम्बन्धों को छिपाकर रखते हैं। हम क्योंकि खुले समाज में रहते हैं तो क़ोशिश कर रहे हैं कि जो हम हैं , उसी तरह से रहें ! हम अलग हैं पर ग़लत नहीं !“

दोनों मम्मियों ने मुझे इतना लम्बा भाषण दे दिया। मै तो कुछ और ही पूछना चाहता था। “मॉम , क्या सचमुच मेरा कोई डैडी नहीं है?” जो मैं पूछना चाहता था, वह वैसे का वैसे ही मेरे मुंह से निकल गया।

थोड़ी देर के लिए चुप्पी छा गई। मिशेल मॉम गम्भीर होकर कुछ सोचने लगी। मै जवाब के इन्तज़ार में मॉम के मुंह की ओर देख रहा था। मॉम मुझसे कभी झूठ नहीं बोलतीं, मुझे मालूम है ।

मिशेल मॉम धीरे से अपना हाथ मेरी पीठ पर रखकर मुझे देखती रहीं फिर धीरे – धीरे बोलीं जैसे मै उनके जितना ही बड़ा होऊं !

“देख रॉबी, मुझे शुरु से ही अपने बारे में मालूम था कि मैं कैसी हूं। हम जैसे होते हैं न, वैसे ही होते हैं। इसके अलावा कुछ और हो ही नहीं सकते। मुझे पुरुषों ने कभी आकर्षित किया ही नहीं।“

मैने सोचा यह तो बड़ी आसान सी बात है।

“मैं और शर्ली आपस में ऐसे ही प्रेम करती हैं जैसे बाक़ी जोड़े करते हैं। हमें एक-दूसरे का बहुत सहारा है। हमने बाक़ी की ज़िन्दगी एक साथ बिताने का वादा किया है।

“हुंह”। यह भी मेरी बात का जवाब नहीं हुआ। 

शर्ली मम्मी ने शायद मेरे चेहरे पर की उलझन समझ ली। मेरी ठुड्डी हाथ में लेकर बड़े प्यार से बोलीं , “हमें लगा कि  हमें एक प्यारा सा बच्चा चाहिए जिस पर हम अपना सारा प्यार उड़ेल सकें । “

तो वह प्यारा सा बच्चा मै हूं , जिस पर यह दोनों मम्मियां प्यार उड़ेलना चाहती थीं। मुझे अपने होने पर गर्व हुआ और मैं मुस्कुरा उठा।

“मिशेल तुम्हें जन्म देगी। हमने काफ़ी सोच- विचार के बाद निश्चय किया। फिर वह एक ख़ास डॉक्टर के पास गई जो बिना किसी आदमी के सम्पर्क में आए बच्चे पैदा करने में मदद करता था।“ शर्ली मम्मी बता रही थीं।

“वह कहने लगा कि वह सिर्फ़ स्त्री-पुरुष के उन जोड़ों की ही मदद करता है जिन्हें बच्चे पैदा करने में मुश्किल होती है। फिर वह डॉक्टर अपने हिसाब से मुझे बताने लगा कि सही क्या है और ग़लत क्या है। उसने साफ़ कह दिया कि मैं ऐसा नाजायज़ बच्चा पैदा करने में तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।“ वह घटना याद करके मिशेल मॉम का मुंह उस वक्त भी तमतमा उठा था।

“ फिर ?” मुझे कहानी दिलचस्प लग रही थी।

“ फिर मेरी एक सीनियर डॉक्टर ने मेरी मदद की। उसने मुझे एक चार्ट दिखाया जिसमें नामों की जगह सिर्फ़ नम्बर लिखे थे, फ़ोटो भी नहीं !“ मॉम हंस पड़ी।

“उन्हीं में से मैने एक नम्बर तीन सौ बयालीस चुना । जिसका क़द छह फुट तीन इंच था । सुडौल शरीर और वह जीवाणुओं पर शोध कर रहा था । बस, इतनी ही सूचना उपलब्ध थी। मेरी उस सीनियर डॉक्टर ने बस उसके डोनेट किये स्‍पर्म ( दान किये हुए बीज )  को मेरे अन्दर डाल दिया और तू मेरी कोख में आ गया। “

मैने सिर हिला दिया तो मैं मॉम जो की टमी से आया हूं।

“मैने तुझे जन्म दिया तो मैं हुई तेरी जन्म मां और शर्ली ने क़ानूनन अर्ज़ी दे कर तुझे पालने का अधिकार ले लिया तो वह हुई तेरी सह-मां।“

“ शुक्र है कि हमारे स्‍टेट में यह सम्भव था । “ शर्ली मम्मी ने बात का आख़िरी वाक्य कह दिया ।

मॉम और मम्मी मुझसे ऐसे ही मिलकर बातें करती हैं तो मैं अपने आप को ख़ास समझने लगता हूं। मुझे लगता है कि मेरी मम्मियां भी ख़ास हैं। पर इस बड़े स्कूल में जब लड़के घुमा –फिरा कर मेरी मम्मियों के बारे में गन्दी बातें कहते हैं , मैं सुलग जाता हूं। तब मुझे दोनों मॉम के ऊपर भी बहुत ग़ुस्सा आता है। उन्हें क्या मालूम कि लोग उनके बारे में कैसी –कैसी बातें करते हैं। अनीश और टोनी तो मेरे मुंह पर ही कह देते हैं कि उनके मम्मी – डैडी ने कहा है कि “सिक” लोगों के घर नहीं जाना ! 

सिक ? मैं खौल जाता हूं। मेरी मिशेल मॉम, इतनी जानी-मानी डॉक्टर हैं और शर्ली मम्मी के लेख तो बड़ी-बड़ी पत्रिकाओं में छपते हैं । मै अपनी क्लास में सबसे अच्छे नम्बर लाता हूं और मेरी बेबी सिस्टर ज़ैरा तो दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची है । हम लोग बीमार हैं क्या ? मम्मियां हमें इतना प्यार करती हैं बस हमें और कुछ भी नहीं चाहिए। रोज़ डिनर के वक्त बैठकर समझाती हैं कि क्या बात ग़लत होती है और क्या ठीक। मॉम कहती है कि कभी किसी को ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए जिससे उसका दिल दुखे । ये लोग तो रोज़ मेरा दिल दुखाते हैं फिर ये लोग मुझसे अच्छे कैसे हुए ? तभी तो मै अपने घर की बात किसी से करता ही नहीं, मैक्स से भी नहीं !

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ज़ैरा शायद आ गई थी। मिशेल मॉम अस्पताल से लौटते वक्त उसे लेकर आई हैं । ज़ैरा हर वक्त हंसती रहती है। उसकी बड़ी- बड़ी काली आंखे देखकर मै भी हंस पड़ता हूं । जब कोई भी मम्मी उसको स्ट्रॉलर में डालकर घुमाने निकलती हैं तो लोग अजीब सी निगाहों से उसे पलट कर देखते हैं शायद इसलिए कि ज़ैरा काली है और हम तीनों गोरे । मम्मियां कहती हैं कि वे दोनों “कलर ब्लाइंड” हैं, उन्हें तो रंग में फ़र्क नज़र ही नहीं आता ।

जब से ज़ैरा हमारे घर में आई है , हमें लगता है कि परिवार पूरा हो गया है ! ज़ैरा की असली मम्मी तो फ़्लोरिडा की जेल में है और उसके डैडी का तो उसकी मम्मी को भी नहीं मालूम। पर अब तो ज़ैरा मेरी बहन है , हमारे परिवार की सदस्य ।

मिशेल मॉम कहती हैं , शुक्र है कि हमारे राज्य मे हमे बच्चे गोद लेने का अधिकार है , दूसरे कई राज्यों में तो अभी भी दोनों मम्मियां या दोनो डैड बच्चे गोद नहीं ले सकते। अच्छा हुआ, नहीं तो बेचारी ज़ैरा कहां रहती ? मैं किस के साथ खेलता ?

ज़ैरा है तो भोली-भाली सी । एक बार मुझे रात को बहुर डर लगा तो मै मम्मियों के कमरे में सोने के लिए जा रहा था पर उनका दरवाज़ा अन्दर से बंद था। मॉम ने सिखाया है कि कभी किसी के बैड-रूम में नहीं जाते , गन्दी बात होती है। अगर दरवाज़ा खुला भी हो तो भी हमेशा खटखटा कर, पूछकर ही जाना चाहिए। मैने दरवाज़ा खटखटाया तो कोई आवाज़ नहीं आई। मैने ज़ोर-ज़ोर से दरवाज़ा पीटना शुरु कर दिया। थोड़ी देर में मॉम की झल्लाहट भरी आवाज़ आई।

“क्या चाहिए रॉबी ? ” 

“मेरे कमरे में मॉन्सटर है, मैं वहां अकेला नहीं सो सकता।“ मै रो दिया था।

थोड़ी देर बाद मिशेल मॉम ने दरवाज़ा खोला। उन्होंने हाथ बढ़ा कर मेरे गाल थपथपाए। फिर प्यार से पुचकार दिया।

“मेरा रॉबी बेटा तो बड़ा बहादुर है न, एकदम सुपरमैन!”

“हां”, मै फिर से ठुसका था।

मॉम ने हंसकर कहा, “अच्छा जा, ज़ैरा के कमरे में जाकर सो जा।”

मै ख़ुश हो गया क्योंकि यूं मम्मियां मुझे कभी भी सोई हुई ज़ैरा के कमरे में नहीं जाने देतीं कि वह जाग जाएगी। मै मुस्कराता हुआ ज़ैरा के कमरे मे आ गया। वह भी नींद में मुस्करा रही थी। क्रिब में तो वह लेटी थी और अपने लेटने की कोई जगह मुझे दिखी नहीं। मैने भी मौक़े का फ़ायदा उठाकर उसके स्टफ़ड भालू का तकिया बना लिया और वहीं उसके पास कार्पेट पर ही लेट गया। 

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शर्ली मम्मी कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं । शायद उनकी तबियत ज़्यादा ही बिगड़ गई । उन्हें तेज़ बुख़ार था और कंपकंपी छूट रही थी। उनका जी मतला रहा था और कभी-कभी पेट पकड़ कर वह कराह उठतीं। मिशेल मॉम सारी रात उनके सिरहाने बैठी कभी उनका माथा और कभी हाथ-पांव सहलाती रहीं। मम्मी निढाल–सी थीं और मॉम परेशान। सुबह मॉम ने अपने अस्पताल फ़ोन किया। “मेरी पार्टनर बहुत बीमार है, मुझे उसका ख़याल रखने के लिए कुछ दिन के लिए फ़ैमिली-लीव चाहिए।”

उधर से कुछ जवाब आया और मॉम ज़ोर से चिल्लायीं, “क्यों नहीं, बाक़ी सब को तो मिलती है।“

फिर फ़ोन पर पता नहीं क्या बातें हुईं कि मॉम गुस्से से फ़ोन रखकर सीधे बाथरूम में घुस गईं। बाहर निकलीं तो उनकी आंखें सूजी हुई थीं। बिना किसी की ओर देखे उन्होंने शायद कुछ और फ़ोन किये। एमरजन्सी है, बच्चों को देखने वाला कोई नहीं जैसे शब्द सुनाई दिये।

मिशेल मॉम को छुट्टी नहीं मिली । उन्हें काम पर जाना ही पड़ा । उस दिन हम एक नई बेबी –सिटर के साथ रहे और शर्ली मम्मी अकेली अपने कमरे में ज़ोर-ज़ोर से कराहती रहीं । मॉम जल्दी काम से लौट आईं। वह कभी इतनी आसानी से परेशान होने वाली नहीं पर आज लगा वह कोई और ही मॉम हैं। अन्दर जाकर कभी शर्ली मम्मी को छूतीं, कभी उनके गले लगतीं, कभी आंखें पोंछतीं, मै बाहर से ही सब देख रहा था और सहमा हुआ था ।

मॉम एकदम सीधी होकर बैठ गईं , जैसे कुछ फ़ैसला कर रही हों । फिर उन्होंने बेबी-सिटर को मदद करने को कहा । शर्ली मम्मी को अपनी दांयी बांह से सहारा देकर, लगभग अपने ऊपर लादते हुए कार की पिछली सीट पर डाला और गाड़ी चलाकर अस्पताल ले गईं।

उस सारी रात हम बेबी-सिटर के साथ रहे । मॉम ने उसे ही दो-तीन बार फ़ोन किया। सिटर ने मुझे देखा और कहा, ”बुरी ख़बर । तुम्हारी मम्मी के पित्त में पथरी निकली है। ऑपरेशन की ज़रूरत है पर मिशेल की इन्श्योंरेन्स उसके अस्पताल का ख़र्चा देने को नहीं तैयार । मेरे डैडी की इन्श्योरेन्स ने तो मेरी मम्मी की बीमारी का सारा ख़र्चा दिया था।“ फिर थोड़ा सोचते हुए बोली, शायद ये लोग मैरिड नहीं हैं, इसलिए ।“

डॉ अनिलप्रभा कुमार


जन्म: दिल्ली में
शिक्षा: पी.एच डी."हिन्दी के सामाजिक नाटकों में युगबोध" विषय पर शोध।
कार्यक्षेत्र:  विद्यार्थी-जीवन में ही दिल्ली दूरदर्शन पर हिन्दी 'पत्रिका' और “नई आवाज़” कार्यक्रमों में व्यस्त रही।  'झानोदय' के 'नई कलम' विशेषांक में 'खाली दायरे' कहानी पर प्रथम पुरस्कार पाने पर लिखने में प्रोत्साहन मिला। कुछ रचनाएँ 'आवेश', 'संचेतना', 'झानोदय' और 'धर्मयुग' में भी छ्पीं।

अमरीका आकर,  न्यूयॉर्क में 'वॉयस आफ अमरीका' की संवाददाता के रूप में काम किया और फिर अगले सात वर्षों तक 'विज़न्यूज़' में तकनीकी संपादक के रूप में। इस दौर में कविताएँ लिखीं जो विभिन्न पत्रिकाओं में छपीं।

न्यूयॉर्क के स्थानीय दूरदर्शन पर कहानियों का प्रसारण। पिछले कुछ वर्षों से कहानियां और कविताएं लिखने में रत। कुछ कहानियां वर्त्तमान - साहित्य के प्रवासी महाविशेषांक में छपी है।

वागर्थ, हंस, अन्यथा, कथादेश, शोध-दिशा, परिकथा, पुष्पगंधा, हरिगंधा, आधारशिला और वर्त्तमान– साहित्य आदि पत्रिकाओं के अलावा, “अभिव्यक्ति” के कथा महोत्सव में “फिर से” कहानी  पुरस्कृत हुई।                        
“बहता पानी” कहानी संग्रह (२०१२), भावना प्रकाशन से प्रकाशित।
“उजाले की क़सम” कविता संग्रह (२०१३) भावना प्रकाशन


संप्रति:  विलियम पैट्रसन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी में हिन्दी भाषा और साहित्य का प्राध्यापन और लेखन।
संपर्क:  Dr. Anil Prabha Kumar
119 Osage Road, Wayne, NJ 07470.
Phone: 973 628 1324
ईमेल: aksk414@hotmail.com
मॉम का फिर फ़ोन आया था। उन्होंने बताया कि उन्हें शर्ली मम्मी के इलाज के लिए ऑपरेशन की इजाज़त देने का अधिकार नहीं है, उनके हस्ताक्षर मान्य नहीं। वह प्रतीक्षा कर रही हैं।

मॉम ने मुझसे भी बात की। “रॉबी घबराना नहीं, ज़ैरा का ख़याल रखना। सब ठीक हो जाएगा।’

“तुम कहां हो मॉम?” मेरी रुलाई छूट रही थी।

“वेटिंग–रूम में बैठी हूं। शर्ली के कमरे में जाने की मुझे इजाज़त नहीं।“

“क्यों?”

“क्योंकि मैं उसकी फ़ैमिली में नहीं आती।“ मुझे लगा मॉम फ़ोन पर शायद सिसकी थीं।

दूसरे दिन शाम को दोनों मम्मियां लौट आईं। शर्ली मम्मी बहुत कमज़ोर लग रही थीं और मिशेल मॉम बेहद थकी हुईं। रात को जब मै गुडनाइट करने उनके कमरे की ओर जा रहा था कि कॉरीडोर में ही रुक गया। मिशेल मॉम के ज़ोर –ज़ोर से बोलने की आवाज़ आई। वह शायद गुस्से में थीं , नहीं तो वह कभी इतने ज़ोर से बोलती नहीं।

“ यह बिल्कुल बे-इन्साफ़ी है। बाक़ी सब को परिवार का सदस्य बीमार होने पर छुट्टी मिल सकती है तो मुझे क्यों नहीं? हमेशा हमसे क्यों दोयम दर्ज़े का बर्ताव किया जाता है? एक तो औरत होने के नाते वैसे ही भेद-भाव। ऊपर से जब पता चलता है कि मैं उनके तय किए गए सम्बन्धों के सांचे में फ़िट नहीं बैठती तो और भी कहर टूटता है। पूरे टैक्स देते हैं हम , पर हमें क्यों वह लाभ नहीं मिलते जो किसी भी आम शादी-शुदा जोड़े को मिलते हैं। मेरी बीमा कम्पनी क्यों तुम्हारी बीमारी का ख़र्चा नहीं दे सकती ? आज मुझे कुछ हो जाए तो न तुम्हें मेरी नौकरी की पेन्शन मिलेगी और न ही दूसरे हक़-फ़ायदे जो कि आम तौर पर दूसरे जोड़ों को मिलते हैं। इस घर से भी निकाल दी जाओगी । वारिस बनकर पता नहीं कौन-कौन आ जाएगा।“

शर्ली मम्मी ने भी शायद जवाब में कुछ कहा।

मुझे उनकी बातें कुछ समझ में नहीं आईं सिवाए इसके कि मॉम परेशान है। मै घबरा गया और बिना गुडनाइट किए ही चुपचाप आकर अपने बिस्तर पर लेट गया।

मैं मम्मियों को नहीं बताता और ज़ैरा तो अभी है ही छोटी। पर मैं इस बात से बहुत घबराता हूं कि कोई मेरी मॉम को तंग न करे , कोई उनकी बेइज़्ज़ती न करे। कोई ऐसी बात न हो जिससे वह दुखी हों । मुझे मालूम है कि मिशेल मॉम वाले नाना- नानी तो कभी-कभी मिलने आ जाते हैं पर शर्ली मम्मी वाली नानी कभी नहीं आतीं, मम्मी इससे दुखी होती हैं।

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मम्मियां मुझे संडे स्कूल नहीं भेजतीं जहां धर्म की शिक्षा दी जाती है पर मेरे स्कूल के कई बच्चे जाते हैं । मैं और मैक्स लंच टाइम में खाना खा रहे थे तभी जॉन और उसके दोस्त दबंगई के मूड में हमारे पास ही आकर बैठ गए। वे सभी मुझसे दो कलासें आगे हैं। जॉन हमारी तरफ़ मुंह करके कहने लगा ,

“हमारी चर्च में कहते हैं, जो भी रिश्ता एक आदमी और एक औरत के अलावा होता है, वह पाप होता है। ऐसे लोग नर्क में जाते हैं। वे जलते अलावों पर भूने जाते हैं और गर्म सलाखों से दागे जाते हैं।“ फिर वे सभी ठहाके मार-मार कर हंसने लगे।

मुझसे लंच नहीं खाया गया। शायद मेरे चेहरे पर कुछ था जो मैक्स ने देख लिया।

“चल बाहर चलते हैं।“ वह मुझे स्कूल कैफ़े से बाहर घसीट लाया।

मेरा चेहरा तप रहा था और माथे पर पसीना छलछला आया। बाहर आकर वॉटर फ़ाउन्टेन से मैने पानी पिया और मुंह भी धोया।

“मैक्स, तुझे अपनी एक बहुत निजी बात बतानी है। पहले प्रॉमिस कर किसी को नहीं बताएगा।“

“प्रॉमिस।“ मैक्स ने अपने सीने पर क्रॉस का निशान बनाया।

“पक्का वादा?”

“हां, दोस्ती का पक्का वादा।“

“मेरी दोनों मम्मियां गे हैं।“ मैने अपनी सारी हिम्मत बटोरकर इतनी जल्दी से कहा कि अगर एक पल के लिए, सांस लेने के लिए भी रुकता तो शायद कह नहीं पाता।

मैक्स के चेहरे पर कोई भाव नहीं बदला। मुझे अचरज हुआ। 

“मुझे मालूम है। मेरे डैड ने कहा था कि लगता है रॉबी की दोनों मांओं का समलैंगिक रिश्ता है पर जब तक रॉबी ख़ुद न बताए, तुम मत पूछना ताकि वह असहज न महसूस करे।“

“तुम्हें अजीब नहीं लगा?”

“नहीं, अनीश का अंकल भी गे है।“

“तुम्हें कैसे मालूम?”

“मुझे कैसे मालूम होगा ? वह तो भारत में है। अनीश ने ही बताया ।“

मेरी फटी हुई आंखें देखकर बोला, “ अरे हर जगह के लोग “गे” हो सकते हैं। अनीश का अंकल शादी नहीं करना चाहता था । उसके माता-पिता ने ज़बरदस्ती सुन्दर सी लड़की से उसकी शादी करवा दी । शादी के बाद वह उसको मारता था। कहता था , तू मुझे अच्छी ही नहीं लगती । एक दिन धक्का दे दिया तो वह रोती हुई वापिस अपने मां–बाप के पास चली गई । अनीश की मम्मी कहती है शायद वह “गे” है। अनीश ने चोरी से यह बात सुन ली थी फिर मुझे बता रहा था। ख़ैर, हमें क्या लेना है इन बातों से। मेरे डैड कहते हैं , जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए।“

मुझे मैक्स की बात अच्छी लगी। एकदम पूछ बैठा, “तो फिर तुम मेरे घर खेलेने आओगे?”

“हां आऊंगा। पर एक बात तुम भी मेरी मानोगे?”

“क्या?” मैं इस वक्त उसकी हर बात मानने को तैयार था – दोस्ती के नाम पर।

“प्लीज़ स्कूल की कौंसलर मिसेज़ रिचर्डसन से मिल लो और जो- जो बातें तुम्हें परेशान करती हैं, उन्हें बता दो। तुम्हें अच्छा लगेगा।“

अगले दिन ही मै मिसेज़ रिचर्डसन से मिला। वह मुझे बहुत अच्छी लगीं। उन्होंने प्यार से मेरी बातें सुनीं। मुझे लगा कि जो बातें मैं दोनो मॉम से नहीं कह सकता वह बातें, अपने सभी डर, चिंताएं, सरोकार मैं उनसे कह सकता हूं।

मैने उन्हें जॉन ओर उसके दोस्तों की कही बात बताई। क्या सचमुच मेरी मम्मियां पाप वाली ज़िन्दगी जी रही हैं? क्या वे सचमुच नरक की यातना भोगेंगी? मेरी दोनों मॉम इतनी अच्छी और प्यारी हैं कि उन्हें कोई तकलीफ़ हो, इस ख़्याल से ही मेरी आंखें डबडबा आईं।

मिसेज़ रिचर्डसन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुस्कराईं। 

“वे सब लोग ग़लत मतलब निकालते हैं। अच्छा रॉबी, तुम बताओ, जीसस क्या कहते हैं?”

’सब से प्यार करो।” मै धीमे से बुदबुदाया।

“तो जीसस सब से प्यार करता है।“ उन्होंने “सबसे” शब्द पर ज़ोर दिया।

मै चुप।

“तो वह सबसे प्यार करता है चाहे वह कोई भी क्यों न हो। उनका प्यार कुछ ख़ास लोगों के लिए नहीं है, अपने सब बच्चों के लिए है। अगर जॉन की मम्मी के लिए है तो तुम्हारी मम्मियों के लिए भी है।“

मुझे सुनकर अच्छा लगा। मैं मुस्करा दिया।

मै उनके ऑफ़िस से बाहर निकला तो लगा जीसस की बात का असली मतलब तो मिसेज़ रिचर्डसन ही समझती हैं। अब मैं भी यही करूंगा। सबसे प्यार करूंगा, जॉन, स्कॉट, अनीश, टोनी और मैक्स सभी से।

दोनों मम्मियां एक रैली पर गई थीं। शायद कोई बहुत ही ज़रूरी बात होगी नहीं तो वे हमें यूं अकेला कम ही छोड़ती हैं। मै और ज़ैरा बेबी सिटर के साथ घर पर थे – टेलीविज़न देखते हुए।

मॉम लोग तो बस एक या दो प्रोग्राम ही देखने देती हैं पर आज बेबी-सिटर थी, टेलीविज़न देखने की पूरी छूट भी।
समाचार चल रहे थे। बहुत से लोग नारे लगा रहे थे।

“समलैंगिकों को भी क़ानूनी विवाह की अनुमति मिलनी चाहिए।“

“हमारे साथ भेद-भाव बन्द करो।“

“हमें भी वही अधिकार मिलने चाहिएं जो किसी भी वैवाहिक जोड़े को मिलते हैं।“

भीड़ में मुझे मिशेल मॉम  और शर्ली ममी के जोश से भरे तमतमाते चेहरे दिखे। 

फिर टेलीविज़न पर एक आदमी दूसरी ही ख़बर बताने लगा। 

“कैनसास सिटी में एक समलैंगिक लड़के को कुछ लोगों ने सता-सता कर जान से ही मार डाला।“ फिर कुछ पुलिस के लोग दिखाई दिये, उस लड़के की रोती हुई मां और उसके भौचक्के दोस्त।

मैने ज़ैरा को अपने से सटा लिया।

“पता है, कुछ लोग समलैंगिकों को बहुत नफ़रत करते हैं। होमोफ़ोबिक होते हैं ये लोग ! अरे बाबा, जियो और जीने दो।“ बेबी-सिटर अपनी कमेन्ट्री देती जा रही थी ।

अगर किसी ने मेरी मम्मियों को भी....? मैं कांपता हुआ अपने बेडरूम में आ गया। आंखों तक कम्बल खींच लिया। मेरी सांस बहुत तेज़-तेज़ चल रही थी। मुझे लगा कि कुछ लोग मेरी मम्मियों को रस्सियों से बांध रहे हैं। उन पर पत्थर फेंक रहे हैं। उन्हें गन्दी-गन्दी गालियां दे रहे हैं। मम्मियों के बदन से ख़ून ही ख़ून बह रहा है और उनकी गर्दनें एक ओर लुढ़क गई हैं।

मैने घबरा कर आंखे खोल दीं। शायद मै सपना देख रहा था। पसीने से तरबतर मेरे बदन में मेरा दिल इतने ज़ोर से धड़क रहा था कि लगा अभी मेरे शरीर से बाहर आ जाएगा। मैने मम्मी को आवाज़ देनी चाही पर लगा मेरी अपनी आवाज़ भी ऐसे मौक़े पर डर के मारे गूंगी हो गई थी।

मै चुपचाप छत की ओर देखता रहा। फिर मन ही मन प्रार्थना करने लगा। धीरे से पर्दा उठाकर खिड़की के बाहर देखा। मॉम की गाड़ी ड्राइव-वे पर खड़ी थी इसका  मतलब मम्मियां घर में आ चुकी हैं।

मैं थोड़ा-सा शांत हो गया। मैक्स के डैडी कहते हैं कि दुनिया में बहुत से ऐसे पाग़ल लोग भी रहते हैं जिन्हें पहचान पाना आसान नहीं होता। वे लोग अपने अलावा सब को ग़लत समझते हैं। दूसरों की ग़लती सुधारने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं । ऐसे ग़लती- सुधारक लोगों से मुझे दहशत होती है। अक़्सर रात को मेरी नींद खुल जाती है। मैं किसी से कहता नहीं पर रात को सोने से पहले जाकर सभी दरवाज़े देख लेता हूं कि ठीक से बन्द हैं न ! पता नहीं क्यूं रात को ही डर ज़्यादा लगता है। शर्ली मम्मी से भी कह दिया है कि वह मेरे लिए दरवाज़ा खुला न रख छोड़ा करें पर उनको समझ ही नहीं आता।

आजकल तो दोनों मम्मियां लगता है किसी बड़े काम में व्यस्त हैं। फ़ोन पर लोगों से बातें करती हैं तो एक ही शब्द बार-बार सुनाई देता है-”गे राइट्स’। आए दिन रैली में भाग लेने जाती हैं। शर्ली ममी तो पता नहीं क्या-क्या दस्तावेज़ तैयार करती रहती हैं। मुझे ऐसा लगता है कि वे कोई बहुत बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रही हैं। 

शर्ली मम्मी उस दिन किसी से फ़ोन पर कह रही थीं यह लड़ाई हम सिर्फ़ अपने लिए नहीं बल्कि दुनिया में रहने वाले सभी सम-लैंगिकों के लिए लड़ रहे हैं। इस आन्दोलन की शुरुआत किसी ने तो करनी ही है। हम झंडा लेकर चलेंगे तो बाक़ी भी फॉलो करेंगे । हमारी रुचि और आकर्षण अलग हो सकते हैं पर ग़लत नहीं। सही बात के लिए हम पूरी ताक़त से लड़ेंगे ।“

मैं ये सब बातें ठीक से नहीं समझता । पर मम्मियां जो भी करेंगी, मैं उनका साथ दूंगा। यह मेरा भी अपने से वादा है । 

उस दिन शर्ली मम्मी कोई फ़ॉर्म भर रही थीं तो एकदम नाराज़ होकर पेन ही फेंक दिया।

“ बारह साल हो गए हमे साथ रहते हुए और अभी तक “सिंगल” पर ही निशान लगा रहे हैं। अलग-अलग दुगुना इन्कम-टैक्स भरना पड़ता है।“ 

मिशेल मॉम के चेहरे पर दुख और बेबसी का भाव था। मैं यह जान जाता हूं पर समझ नहीं पाता कि मै कैसे दोनो मम्मियों को ख़ुश करूं? मैने मॉम जो के गले में बांहे डाल दीं और गाल पर किस्सी दी । मॉम ने मुझे अपने सीने से चिपका लिया । मुझे लगा कि मै कम से कम यह तो कर ही सकता हूं ।

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सुबह स्कूल जाने से पहले  मै आंखे मलता हुआ नीचे आया तो वहीं का वहीं ठिठक गया।  किचन टेबल पर आज का अख़बार बिखरा पड़ा था और दोनो मॉम एक- दूसरे के गले से लिपटकर ख़ुशी से गोल-गोल घूमे जा रही थीं।

मुझे देखा तो शर्ली ममी ने  दौड़कर मुझे भी गोदी में उठा लिया और झूम गईं।

“रॉबी ! बिल पास हो गया।“

मै अभी भी उन्हें हक्का- बक्का देख रहा था। पाग़ल हो गई हैं क्या दोंनो ?

“अब न्यूयॉर्क में भी “गे-मैरिज बिल” पास हो गया है । अब हम दोनो शादी कर सकेंगी ।

मम्मियों को इतना ज़्यादा ख़ुश आज मैने पहली बार देखा ।

“कब होगी शादी?” मै भी ख़ुश था क्योंकि दोनो मॉम ख़ुश थीं ।

“जल्दी, बहुत जल्दी।“मिशेल मॉम बस अब और इंतज़ार नहीं करना चाहती थीं ।

और हमारे घर में शादी की तैयारियां शुरु हो गईं । सबको निमन्त्रण भेजे जा रहे थे। मेरे और ज़ैरा के नए कपड़े भी आ गए। मैक्स के डैड ने कहा कि वह शादी की रस्म के बाद मॉम और मम्मी को अपनी बड़ी वाली कार में घर ले आएंगे ।

ममी और मॉम थोड़ी खुस-पुस करती रहती थीं । लगा कोई बात है जो इन्हें पूरी तरह ख़ुश नहीं होने दे रही। मै अपना होमवर्क कर रहा था तो मैने सुना कि शर्ली ममी अपनी मासी से बात कर रही हैं ।

“ मेरी मां को समझाओ। यह दिन मेरे लिए बहुत ख़ास है। अगर वे इस शादी में नहीं आएंगी तो ....” और मम्मी सुबकने लगीं।

शादी वाले दिन मैने अपना काला टक्सीडो पहना और ज़ैरा ने लेस वाला गुलाबी फ़्रॉक। मिशेल मॉम ने क्रीम रंग का पैंट-सूट और शर्ली मम्मी ने भी उसी रंग का स्कर्ट- सूट। मिशेल मॉम वाली नानी ने दोनो अंगूठियों के डिब्बे अपने पर्स में सम्भाल कर रख लिए। सभी घर आने वाले मेहमान आ चुके थे और मम्मियों के दोस्तों ने हमें सिटी हॉल के बाहर ही मिलना था। मॉम के ऑफ़िस का कोई आदमी हमारी तस्वीरें ले रहा था  कि इतने में दरवाज़े की घंटी बजी।

मेहमान को देखकर शर्ली मम्मी की खुशी से चीख निकल गई। वह दौड़कर उस बुज़ुर्ग  महिला से लिपट गईं। वह रोती जा रही थीं और बोलती जा रही थीं- “थैंकयू मॉम, थैंक यू। थैंक यू सो मच।“ 

मैं समझ गया ज़रूर दूसरी वाली नानी होंगी।

रजिस्ट्रार के दफ़्तर में मॉम और मम्मी ने दस्तख़्त किए। नानी ने मुझे और ज़ैरा को एक-एक अंगूठी पकड़ा दी और हमें मम्मियों को दे देने का इशारा किया। मिशेल और शर्ली मम्मी ने एक दूसरे की उंगली में अंगूठी पहनाई तो वहां खड़े सभी लोगों ने तालियां बजानी शुरु कर दीं। मॉम और मम्मी ने सबके सामने एक-दूसरे को किस्स किया तो मॉम की मम्मी ने उन पर फूल फेंके ।

मैक्स के डैड अपनी कार बिल्कुल दरवाज़े तक ले आए। उस पर दो बड़े- बड़े बैलून बंधे थे और पीछे के शीशे पर सफ़ेद रंग से लिखा था – “ न्‍यूली मैरिड”

मिशेल मॉम और शर्ली ममी एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए पीछे की सीट पर बैठ गईं। उनके पीछे की कार में मिशेल मॉम वाले नाना ड्राइवर सीट पर और नानी उनके बगल में बैठे। ज़ैरा को बच्चों वाली सीट पर पेटी से बांधने के बाद दूसरी वाली नानी मेरे साथ पिछली सीट पर  बैठ गईं।

“तुमने आख़िरी वक्त पर आने का इरादा कैसे बना लिया?’’ बड़ी नानी ने पूछा तो दूसरी नानी खो सी गईं।

“क्योंकि ... क्योंकि मेरी बहन ने कहा कि जैसे तुम अपने स्वर्गीय पति से अभी तक इतना प्रेम करती हो, शर्ली भी वैसे ही मिशेल से प्यार करती है। अपने पूर्वाग्रहों की वजह से उसे किसी भी तरह से कमतर न आंको। सोचती रही, बस फिर लगा कि शर्ली की ख़ुशी के लिए मुझे आना चाहिए। आ गई । “

अचानक हम सबका ध्यान बंटा। बड़ी नानी के मुंह से तो हल्की-सी चीख़ ही निकल गई। एकदम हमारे आगे खड़ी नव-विवाहित जोड़े वाली कार के ऊपर एक आदमी कुछ फेंक कर तेज़ी से भाग गया। हम सब सकते में आ गए- कहीं बम तो नहीं? मुझे लगा कि मेरी सांस रुक रही है।

कार के पिछले शीशे पर लिखा “न्यूली मैरिड” शब्द, अंडे की ज़र्दी और सफ़ेदी के नीचे दब गया।

हमारी वाली गाड़ी में सब लोग लोग एकदम चुप थे पर आगे वाली गाड़ी झटके से हिली और बेपरवाही से अपने घर की तरफ़ बढ़ गई।

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