👉 हम न मरहिं मारहि संसारा - मैत्रेयी पुष्पा (आत्मकथा गुड़िया भीतर गुड़िया से) | Rajendra Yadav from Maitreyi Pushpa's Autobiography
साहित्य की टूटती ठस मानसिकता - अनंत विजय | Hindi Literature coming of age ? - Anant Vijay
पाठकों के कम होते जाने का कारण - कृष्ण बिहारी | Krishna Bihari: Samai se Baat-12
अभिव्यक्ति के खतरे उठाने ही होंगे - विमल कुमार | Vimal Kumar on Freedom of Expression & Kalburgi
मैं जिस आदेश श्रीवास्तव को जानता हूँ... आलोक श्रीवास्तव | Aalok Shrivastava Remembers  Aadesh Shrivastava
हरे प्रकाश उपाध्याय की कवितायेँ, गुस्सा, चिंता और धूल-पसीना | Poems: Hare Prakash Upadhyay (hindi kavita sangrah)
तीन फिल्मों की समीक्षायें: फैंटम / बांके की क्रेजी बारात / कौन कितने पानी में  | Movie Review: Phantom / Baankey Ki Crazy Baraat / Kaun Kitne Paani Mein दिव्यचक्षु
'वर्तमान साहित्य' सितम्बर 2015 'Vartman Sahitya' September

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