असली स्वाद पाने के लिए रसिक मूल भाषा को अधिक पसंद करता है - भरत तिवारी हर बोली का एक अपना-काव्य होता है, भाषाओं का विस्तार और भा…
आगे पढ़ें »विपश्यना — सत्येंद्र प्रताप सिंह — संस्मरण: पार्ट 3 सुबह सबेरे उठना भी एक कठिन टास्क होता है। खासकर ऐसी स्थिति में जब आपको 3 बजे रात को सो…
आगे पढ़ें »भक्ति भारतीय शास्त्रीय नृत्य के मूल में है — भरत तिवारी description श्रुती कोटि समं जप्यम जप कोटि समं हविः हविः कोटि समम गेयं गे…
आगे पढ़ें »(Image courtesy: Sonu Mehta/HT Photo) तैयार हो दोस्तों ? — कपिल मिश्रा तुम लड़ नही पाओगे उनसे अगर उन्हें पहचाना नहीं। उनकी भाषा और उन…
आगे पढ़ें »कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में — बहादुर शाह ‘ज़फर’ मकबूल ‘फ़िदा’ हुसैन की तस…
आगे पढ़ें »गुड़गाँव के एक स्कूल में सात साल के प्रद्युम्न की हत्या बड़ी बेरहमी से बाथरूम में कर दी गई... प्रेमा झा की 'प्रद्युम्न की माँ' …
आगे पढ़ें »देवनागरी की महत्ता पर बापू का ख़त हिंदी-दिवस विशेष इस संस्करण को हिंदी में छापने के दो उद्देश्य हैं। मुख्य उद्देश्य यह है कि …
आगे पढ़ें »भारत एक नदी मातृक देश है। यहाँ की तमाम बड़ी छोटी नदियों ने ही अपने अपने तटों पर हज़ारों बरसों से नाना सभ्यताओं और परंपराओं को उपजाया और सींचा…
आगे पढ़ें »मैं एक नया मुकाबला दूंगा — ए आर रहमान — भरत तिवारी (आज के नवोदय टाइम्स में प्रकाशित) http://epaper.navodayatimes.in/1355186/…
आगे पढ़ें »धर्महीन — सोनिया बहुखंडी गौड़ स्त्री का अपना कोई धर्म नही होता सभी स्त्रियों की नही होती सुन्नत सिंक में बर्तन मांजते वक़्त बहते …
आगे पढ़ें »पंडित क्षितिपाल मल्लिक ध्रुपद उत्सव — भरत तिवारी (आज के नवोदय टाइम्स में प्रकाशित) http://epaper.navodayatimes.in/1351611/The-Navoda…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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