सूना हुआ जीवंत कोना अनंत विजय जिंदगी की पिच पर खुशवंत सिंह शतक से चूक गए जिंदगी की पिच पर खुशवंत सिंह शतक से चूक गए और निन्यानवे साल की…
आगे पढ़ें »शब्दांकन ई पत्रिका Shabdankan E magazine on behalf of Sahitya Akademi & Ministry of Culture cordially invites you to ✔ Sabad- A W…
आगे पढ़ें »संस्थान और अकादमी का यह योगदान मैं कैसे भूल सकता हूं कि इन्हीं के ज़रिए एक से एक दिग्गज महनीय साहित्यकार और श्रेष्ठ व्यक्तियों के निकट आने और सम्मान…
आगे पढ़ें »नवउदारवाद और सांप्रदायिक फ़ासीवाद का उभार प्रभात पटनायक साझा संस्कृति संगम : प्रभात पटनायक का उदघाटन आलेख जनवादी लेखक संघ, आठवां राष्ट्रीय सम…
आगे पढ़ें »गुलामी का आनन्द उठाने वाले आजादी के खतरों से बचते रहते हैं मैत्रेयी पुष्पा का खुला ख़त (अरविन्द केजरीवाल के नाम) प्रिय अरविन्द ( केजरीवाल ) म…
आगे पढ़ें »जलेस - इलाहाबाद प्रस्ताव जनवादी लेखक संघ, आठवां राष्ट्रीय सम्मेलन (14-15 फरवरी 2014, इलाहाबाद) आने वाले आम चुनावों में फ़ासीवादी ताक़तों को …
आगे पढ़ें »13 मार्च की दोपहर, तक़रीबन 3 बजे, जब मैंने साहित्य अकादमी सहित्योत्सव 2014 में मेघदूत परिसर, रवीन्द्र भवन में लगे पंडाल में प्रवेश किया - वहां …
आगे पढ़ें »धन्यवाद प्रिय भरत तिवारी! आपने खूब तस्वीरें खींचीं हमारी। काव्य-निशा अच्छी रही। वासंती बयार खूब बही। जिन कवियों ने भाग लिया, वे थे-- सर्वश्री ब…
आगे पढ़ें »युवा साहिति - साहित्योत्सव 2014 साहित्य अकादेमी ने युवाओं को एक राष्ट्रीय मंच देने के लिए यह कार्यक्रम विशेष तौर से शुरू किया है। - के. श्रीनिवा…
आगे पढ़ें »11 मार्च 2013, नई दिल्ली साहित्य अकादमी ने जावेद अख्तर, सुबोध सरकार और मृदुला गर्ग समेत 24 जाने माने कवियों एवं साहित्यकारों को यहां अपने वाषिर्क उ…
आगे पढ़ें »चौं रे चम्पू सान्निध्य बनाम सहभागिता —अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! उड़ौ ई फिर रह्यौ ऐ? पिछले हफ्ता कहां-कहां डोलि आयौ? —चचा, इस सप्ताह…
आगे पढ़ें »सत्य ही शिव है और यह जो "आजतक" के ही दीपक शर्मा कह गए … ओम थानवी एक आदमी जो आपनी सादगी के लिए हमारे चैनल में जाना जाता हो, आज मीडिया …
आगे पढ़ें »लघुकथा बाल मजदूरन - शोभा रस्तोगी “हैं ! मेड रख ली तूने ? उम्र क्या है ?” “बारह। यार, छोटे मोटे सौ काम खड़े रहते हैं। किसी को पानी, किसी को …
आगे पढ़ें »राग देश जय हो ठोकतंत्र की, जय श्री इलेक्शन! - क़मर वहीद नक़वी अब ललकार, हुँकार, दहाड़, फुफकार का ज़माना है, गरम ख़ून चाहिए, जो बात-बात पर …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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