रवीन्द्र त्रिपाठी: 'एक पुस्तक पर 5 मिनट' गाँधी, दक्षिण अफ्रीका में भारतीय देशभक्त गाँधी, दक्षिण अफ्रीका में भारतीय देशभक्त …
कुछ यादें अनमोल होती हैं। और उन अनमोल यादों को साझा किया जाना बीते कल के साथ किया जाने वाला वह बेहद ज़रूरी काम है जो भविष्य को, हमसब को आश…
विनोद भारद्वाजजी अपने इस लेटेस्ट संस्मरणनामा में भारत के महान कलाकार सूजा को याद करते हुए कहते हैं कि उन्हें आप चाहें तो पर्वर्ट कह सकते ह…
गाँधी की मृत्यु गिरधर राठी / डॉ. मारगित कौवेश गाँधी की मृत्यु | एक पुस्तक पर 5 मिनट महात्मा गाँधी की मृत्यु पर लिखे गये हंगेरियन नाट…
रवीन्द्र त्रिपाठी: 'एक पुस्तक पर 5 मिनट' कुलदीप कुमार की किताब 'बिन जिया जीवन' रवीन्द्र त्रिपाठी: 'एक पुस्तक प…
शब्दांकन फेसबुक लाइव: अशोक आत्रेय की कहानियाँ #शब्दांकन_फेसबुक_लाइव: रवीन्द्र त्रिपाठी के साथ एक पुस्तक पर 5 मिनट अशोक आत्र…
कलात्मक संस्मरणनामा , मक़बूल फ़िदा हुसैन साहब से अपने संबंध की लम्बी यात्रा को विनोद भारद्वाज जी ने हुसैन की यादों में पूरी तरह डूबकर…
शब्दांकन फेसबुक लाइव: बेगम समरू का सच #शब्दांकन_फेसबुक_लाइव: रवीन्द्र त्रिपाठी के साथ एक पुस्तक पर 5 मिनट | बेगम समरू का सच रवीन्द…
योगिता यादव के सामयिक प्रकाशन से छपे उपन्यास ' ख्वाहिशों के खांडववन ' की समीक्षा करते हुए उर्मिला शुक्ल लिखती हैं: योगिता यादव …
शब्दांकन फेसबुक लाइव: रवीन्द्र त्रिपाठी के साथ एक पुस्तक पर 5 मिनट गीतकार शैलेन्द्र पर इंद्रजीत सिंह की एक पुस्तक "तू प्यार का साग…
सच वाला बेमिसाल संस्मरण । कल के संस्मरणनामा में विनोद जी ने जब लिखा कि, 'ये मेरी कोविद लॉकडाउन डायरी की विदाई किस्त है, कुछ और ल…
विनोद भारद्वाजजी के संस्मरणनामा उनकी तरह ही बेबाक हैं. इस बार वाले, श्रीलाल शुक्ल की यादें में वह लिखते हैं अब आगे और नहीं... शायद कुछ लोग…
कुँवर नारायण के उस घर में अमीर खान, जसराज, कारंत, संयुक्ता पाणिग्रही , अज्ञेय , अलकाजी जैसे कई नाम कुँवर नारायण के ख़ास मेहमान बन कर …
विनोद भारद्वाज जी अपने बहुचर्चित स्तंभ 'संस्मरणनामा' में इस दफ़ा केदारनाथ सिंह जी की यादें हम सब से साझा कर रहे हैं...
हिंदी साहित्य को धकियाती क्षेत्रीय, जातीय, नस्ली, स्त्री बनाम पुरुष, कविता कि कहानी तिस पर लेखन बनाम फेसबुक राजनीति से परे भी हैं कुछ लोग…
अचला बंसल अंग्रेज़ी साहित्य की सम्मानित भारतीय लेखक हैं. अंग्रेज़ी के साथ-साथ वह यदाकदा हिंदी कहानियाँ भी लिखती रही हैं. "चौथा कौन?"…
अनामिका के नए उपन्यास आईनासाज़ की इस समीक्षा में सुनीता गुप्ता लिखती हैं कि "अनामिका के यहां प्रतिरोध की वह मुखर प्रतिध्वनि नहीं मिलती जो स्त…
'बुकमार्क्स' कहानी पढ़िए । शालू 'अनंत' दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद अब 'हाशियावाद' पर पीएचडी कर रही हैं …
कहानियों की भीड़भाड़ और धक्कामुक्की के बीच हम उन कहानियों को न भूल जाएँ जो कथा के मूल-सी हैं । ऐसी ही एक कहानी है शिवप्रसाद सिंह की ' दादी…