अमरेंद्र किशोर , वरिष्ठ पत्रकार की हर रिपोर्ट वह ज़रूरी कागज़ है जिसे देखा जाना चाहिए. इन कागज़ों को देखते हुए नक्सलवाद समस्या को न सिर्फ़ समझा…
आगे पढ़ें »कवि, उपन्यासकार और कला समीक्षक विनोद भारद्वाज जी को आप शब्दांकन पर पहले भी पढ़ते रहे है. विनोदजी के पास श्रेष्ठ यादों के कई दबे हुए खजाने है…
आगे पढ़ें »कवि, उपन्यासकार और कला समीक्षक विनोद भारद्वाज जी को आप शब्दांकन पर पहले भी पढ़ते रहे है. विनोदजी के पास श्रेष्ठ यादों के कई दबे हुए खजाने …
आगे पढ़ें »युवा कवि प्रेमा झा के सपने पहले भी सच हुए हैं! नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप और सुनामी के आने का स्वप्न भी घटना घटित होने के तकरीबन 9-10 माह पू…
आगे पढ़ें »जमदग्नि का विवाह इक्ष्वाकु वंश की राजकुमारी रेणुका के साथ हुआ था। उनके पांच पुत्र हुए, सबसे छोटे परशुराम थे...
आगे पढ़ें »हमारे समाज में भरपूर घट रही वह कहानी जिसमें स्त्री माँ बनती है और पुरुष? क्या हमारा पुरुष पिता बनने के बाद माँ बन चुकी पत्नी को समझता है? पढ़िए…
आगे पढ़ें »येग़िशे छारेंत्स का पत्र (पत्नी) आर्फेनिक के नाम येग़िशे छारेंत्स (1897-1937) आर्मेनियाई कवि अपने देश के राष्ट्रपिता सरीखे हैं. 24 अप्…
आगे पढ़ें »इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी का 'यथावत' में प्रकाशित यह लेख कोरोना आपदा को, उसके ख़िलाफ़ लड़ाई को ह…
आगे पढ़ें »यमुना की कहानी को उसके इतिहास के साथ चलते हुए, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कहने वाली यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया प्रेस से प्रकाशित डेविड एल हैबरमै…
आगे पढ़ें »पिता की बातें ममता कालिया हिंदी साहित्य, उसके कथा संसार की प्रिय लेखक इस बेहद संजीदा संवाद में अपने पिता श्री विद्याभूषण अग्रवाल की उन …
आगे पढ़ें »माउंट एवरेस्ट से वापसी में नामचे बाजार से फाकडिंग (Phakding) को नीचे उतरते हुए जब आखरी बार आमा दब्लम (Ama Dablam) चोटी को देखा था, तब, …
आगे पढ़ें »Jagjit Singh हिंदी साहित्य से जुड़े लोगों के बीच वरिष्ठ कवि-लेखक शैलेन्द्र शैल का बड़ा मान है. ज्ञानपीठ से प्रकाशित किताब 'स्मृतियों क…
आगे पढ़ें »आपदा काल रचना प्रक्रिया को बहुत मुश्किल बना देता है । लेकिन, पीड़ा से गुजरते हुए जब कोई साहित्य उपजता है तो उसमें कई नए रंग नज़र आते हैं । आ० स…
आगे पढ़ें »रंजीता सिंह की प्रेम कवितायेँ उन तमाम मुश्किलों, जिनमें जीवन अपने वजूद को बचाने का फिक्रमंद हो, के बीच प्रेम की साँस का चलते रहना भी उसी फ़…
आगे पढ़ें »लेखक तरुण भटनागर की हंस में प्रकाशित हिंदी की लम्बी कहानी "ज़ख़्मेकुहन" Hindi Story कथाकार उपन्यासकार तरुण भटनागर अपनी …
आगे पढ़ें »दिल्ली, जो अब राष्ट्रीय राजधानी है, ब्रिटिश शासनकाल में भी संक्रामक बीमारियों का केंद्र रही है। नलिन चौहान का यह आलेख बताता है कि कैसे हैजा, मलेरि…
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 Vandana Rag
Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
 
 
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