बाज़ दफ़ा हम पाठक भूल जाते हैं कि कहानी में मासूमियत का अपना आनंद है. ज्योति श्रीवास्तव की 'काली-पीली सरसों' हमें उसी भूले हुए संसार में…
आगे पढ़ें »भोजपुरी कितनी गहरी है, उसकी मिठास और आवाम तक पहुँच कितनी है हमसब जानते हैं। सोनी पाण्डेय ने अपनी लोक भाषा का प्रयोग करते हुए…
आगे पढ़ें »कहते हैं कि जिन लोगों की फ़िल्मों के भावुक दृश्यों पर आँख नम हो जाती है, वो बड़े संवेदनशील होते है…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
Social Plugin