गीताश्री की कहानी 'दमनक जहानाबादी की विफल-गाथा' में एक कथाकार का परिश्रम और हिम्मत दोनों हर दृश्य में मौजूद हैं। वरिष्ठ साहित्यकार म…
आगे पढ़ें »मेरी समझ में नारी को कमतर मानते हुए उनपर शाब्दिक हमले करने वाले भी उतने ही बड़े अपराधी हैं जितना उनपर शारीरिक हमला करने वाला। पढ़िए गीताश्री का आग्नेय…
आगे पढ़ें »'गीताश्री की पसंदीदा किताबें' की तीसरी कड़ी में पढ़ें वरिष्ठ लेखक अवधेश प्रीत के उपन्यास रुई लपेटी आग (राजकमल प्रकाशन) की समीक्षा ~ सं0
आगे पढ़ें »वरिष्ठ साहित्यकार हृषीकेश सुलभ के उपन्यास 'अग्निलीक' की सुंदर समीक्षा करते हुए, आलोचकों को ज़रा घेरते हुए, गीताश्री अपने कॉलम 'गीताश्री क…
आगे पढ़ें »खूबसूरत गद्य पाठक की कमज़ोरी होता है। यदाकदा उसकी यह तलाश गीताश्री भी अपने बेहतरीन लेखन से पूरी करती रहती हैं। शब्दांकन की इस नई सीरीज़ ' गीताश्री…
आगे पढ़ें »मुझे हमेशा लगता रहा है कि हम जितना दूसरों के अनुभवों को समझकर जानकार बनते हैं, उतनी आसानी से और किसी तरह नहीं। खुश हूँ कि गीताश्री ने अपनी यादों को …
आगे पढ़ें »रवींद्र कालिया संपादित ‘नया ज्ञानोदय’ का प्रेम महाविशेषांक (नवंबर, 2009) के पुनर्प्रकाशन (जिसमें पहले ममता कालिया की कहानी निर्मोही आ चुकी है) में …
आगे पढ़ें »साहित्यकार गीताश्री ने बिहार की पाँच कवयित्रियों - उपासना झा, नताशा, निवेदिता, सौम्या सुमन और पूनम सिंह की कविता पर यह आलेख लिखकर बहुत ज़रूरी काम किय…
आगे पढ़ें »विज्ञान में पीएचडी अभिषेक मुखर्जी ने गीताश्री के उपन्यास क़ैद बाहर (राजकमल प्रकाशन) की समीक्षा पूरे हृदय से लिखी और अच्छी हिन्दी से सजाई है। उन्हे और…
आगे पढ़ें »अच्छी फ़िल्मों को देखना बहुत ज़रूरी (और साहित्यिक) होता है। यह तब और अच्छा हो जाता है जब गीताश्री सरीखा संवेदनशील लेखक किसी ऐसी फिल्म को देख, फ़िल्म की…
आगे पढ़ें »गीताश्री इस समय की सशक्त कथाकार अकारण नहीं हैं, आप 'केस स्टडी' पढ़िए, उनकी इस कहानी का प्लॉट और उसका ट्रीट्मन्ट, पात्र और उनका संचालन सब दिखल…
आगे पढ़ें »किसी एक व्यक्ति के सुख से न तो खेतों में हरियाली छा जाती है, न उसके दुख के ताप से खेत, नदियां तालाब सूख जाते हैं। जब मन में पीड़ा का आलोड़न हिलोरें ले…
आगे पढ़ें »मत्स्यगंधा गीताश्री की कहानी “हे निषाद देवता...ई औरत तो सचमुच सनकल पुजारिन हो गई है। क्या गा रही है। सुरसती लोकगीत गाती है सुर में। गीतगाइन सुर…
आगे पढ़ें »मैंने राजवंती के गले में उस बूंदे को छूते हुए टोका — “ये बेटे के लिए पहना है न ?” गीताश्री पराई पीर समझने का नतीजा है ‘परिवर्तन’ — गीत…
आगे पढ़ें »पटना के चतुर्भुज स्थान पर लिखी यह कथा नारी की पीड़ा, समाज की विडंबना और संवेदनशील लेखन का सुंदर संगम है। गीता श्री की यह कहानी सिर्फ़ एक जगह नही…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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