ईदगाह: एक मासूम बच्चे की कहानी सोच रहा था कि आज ईद के मुबारक अवसर पर बधाई किस तरह दूं। बहुत सारे विकल्प ज़ेहन में आ रहे थे मगर दिल नहीं राज़ी ह…
आगे पढ़ें »प्रेम कहानियाँ पाठकों के दिल में अपने-अपने कारणों की वजह से उतरती रही हैं। उर्मिला शिरीष की ‘परिन्दों का लौटना’ भी एक वह कहानी है जिससे बहुत पाठक ज…
आगे पढ़ें »हंस मार्च, 1999 | Shabdankan | नोट: विनोद कुमार शुक्ल को 2024 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आगे पढ़ें »राजिंदर अरोड़ा की कविता 'डिजिटल कुंभ की संभावनाएँ' आपसे पूछ रही है, क्या इस युग में पानी भी डिजिटल हो सकता है। शब्दांकन पर पढ़ें यह खूब…
आगे पढ़ें »शंकरानंद की कविताएँ – संवेदनाओं का गहन चित्रण परिचय खगड़िया जिले के एक गांव हरिपुर में 8 अक्टूबर 1983 को जन्म। हिन्दी की लगभग सभी शीर्ष पत्रिकाओं म…
आगे पढ़ें »विशाख ने गंगा की लहरों में अम्मा को सौंप दिया, पर स्मृतियों की धाराएँ अब भी मन के तटों से टकरा रही थीं। प्रस्तुति के शब्दों ने तर्क दिया, मगर विशाख …
आगे पढ़ें »सम्राट अशोक का नरक – बोधिसत्व कोई भी सम्राट प्रजा के दुःख का पाता है हिस्सा भले ही न दिखें वह रोते लेकिन वह जागरण से अधिक रोता है जागत…
आगे पढ़ें »सुरेन्द्र मोहन पाठक #PulpSeries अगर आपकी उम्र 50-70 के बीच है, और आप हिन्दी के पाठक रहे हैं तो मैं बहुत हद तक तय मानूँगा कि आपने कभी न कभी हिन्दी के…
आगे पढ़ें »केवल कैन्डिल मार्च से किसी के दर्द को नहीं दूर किया जा सकता शरद कुमार पाण्डेय "शशांक" उप संपादक, राष्ट्रीय स्वरूप दैनिक समाचार पत्र।…
आगे पढ़ें »Ashok Vajpeyi Autobiography 5 मैंने सलाह भी बहुत दी हैं Ashok Vajpeyi Autobiography पढ़ें: पहला हिस्सा Ashok Vajpeyi Autobiography (Photo (C) Bhar…
आगे पढ़ें »'विपश्यना' उपन्यास में इंदिरा दांगी ने बहुत प्रभावित किया था। बीएचयू प्रोफेसर प्रभाकर सिंह की समीक्षा (Review Vipshyana Indira Dangi) पढ़ते …
आगे पढ़ें »Ashok Vajpeyi Autobiography 4 यह बात मुझे समझ में आ गयी थी कि मुक्तिबोध एक बड़े कवि हैं। इस बात से श्रीकान्त भी सहमत थे और इस बात से नामवर सिंह भी स…
आगे पढ़ें »3 मैंने न कभी बच्चों के लिए लिखा और न कभी बच्चे की तरह लिखा। कभी बाल पृष्ठ पर प्रकाशित नहीं हुआ। पत्रिकाओं में सीधे रचनाएँ भेजता था, बिना यह बताये …
आगे पढ़ें »मेरी समझ में नारी को कमतर मानते हुए उनपर शाब्दिक हमले करने वाले भी उतने ही बड़े अपराधी हैं जितना उनपर शारीरिक हमला करने वाला। पढ़िए गीताश्री का आग्नेय…
आगे पढ़ें »2 हमारे घर में किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं थी। एक आले में रामचरितमानस रखा होता था। ~ अशोक वाजपेयी
आगे पढ़ें »1 मेरे मन में जन्म को लेकर प्रसन्नता का भाव है। जाहिर है, जन्म के साथ संयोग और सौभाग्य इत्यादि भी जुड़े हैं, पर, मूल भाव प्रसन्नता और कृतज्ञता का ह…
आगे पढ़ें »साहित्य में अच्छी कविता का कोई सानी नहीं है। अनामिका जी के अनुवाद का आनंद उठाते-उठाते कब आप मणि राव की कविता का आस्वाद लेने लगेंगे, पता नहीं लगेगा!…
आगे पढ़ें »2010 में रवींन्द्र कालिया के संपादन में छप रही पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ का एक ‘महाबेवफाई अंक’ निकला। उसमें “उसके हिस्से की धूप” का कुछ संक्षिप्त रूप प…
आगे पढ़ें »'गीताश्री की पसंदीदा किताबें' की तीसरी कड़ी में पढ़ें वरिष्ठ लेखक अवधेश प्रीत के उपन्यास रुई लपेटी आग (राजकमल प्रकाशन) की समीक्षा ~ सं0
आगे पढ़ें »सदाशिव श्रोत्रिय की यह सुंदर समीक्षा पढ़ने के बाद दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की किताब पढ़ने का बहुत मन हुआ, सोचा अभी मँगा लूँ और तब... हिन्दी की नाव कितने प…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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