'सप्तपर्णी' फूल की शैतानी खुशबू (इसके पेड़ को अंग्रेज़ी में 'डेविल्स ट्री' भी कहते हैं) से मोहित होकर, मैंने 2018 में फेसबुक पर लिखा था। ज्योति चावला की इसी नाम की कहानी को पढ़ते हुए दिल्ली, या कहूँ महानगरीय जीवन के कई संवेदनशील पहलुओं से अच्छा राबता हुआ। पढ़िएगा ~ सं
राजेन्द्र यादव पर ज़बरदस्त बेबाक मृदुला गर्ग! Mridula Garg on Rajendra Yadav
"मेरे ख़्याल से हिन्दी साहित्य जगत में फ़्लर्ट करने की कला, सिर्फ दो जन जानते हैं, राजेन्द्र यादव और मनोहर श्याम जोशी।"
मृदुला गर्ग की लिखी इस लाइन से आपको कुछ अंदाज़ा लगा होगा कि राजेन्द्र यादव पर यह लेख उन्होंने कितनी बेबाकी से लिखा है। आज यादवजी के जन्मदिन पर खास!
शनेल नंबर-5 - प्रभात रंजन की कहानी | Chanel No.5 - Story by Prabhat Ranjan
वैसे तो अनेक पुरुष लेखक स्त्री को समझने की बात करते हैं, उसकी तरफ़ से लिखते हैं लेकिन प्रभात रंजन की ‘हंस’ में प्रकाशित कहानी ‘शनेल नंबर-5’ उस लेखकीय समझ को, एक पुरुष द्वारा स्त्री की दृष्टि से बू को समझने और समझाने के नए मायने सामने रखती है। प्रभात भाई, बधाई!
पाठक यदि शब्दों की गहराई मे उतरकर पढ़े तो कहानी का असल समझ आएगा। ~ सं0
राजेन्द्र लड़ते थे पर संबंध तोड़ते कभी नहीं थे। ~ मन्नू भंडारी | Mannu Bhandari interview by Vivek Mishra
अच्छा हुआ कि मित्र विवेक मिश्र से उनका मन्नूजी वाला यह इंटरव्यू मांग लिया। यह दरअसल एक टिपिकल इंटरव्यू नहीं है इसमें मन्नू भंडारीजी ने कई बातों का खुलासा तो किया ही है, साथ विवेक मिश्र ने अपनी कथाकार दृष्टि से बहुत रोचक बना दिया है। राजेन्द्र यादवजी भी इसे पढ़कर ज़रूर खुश होते, ठहाका लगाते ~ सं0
शब्द व अन्य कविताएं ~ आकृति विज्ञा 'अर्पण' | Poetry - Akriti Vigya 'Arpan'
मजबूत और सच्ची बात मसलन — "गांवों के चूल्हे की सोंधी महक/और शहर की फैक्टरी की दुर्गंध/मुझे इतना पागल नहीं करतीं/कि मैं कहूं गाँव शिक्षित हो चुके हैं/और शहरों में प्रसन्नता बसती है।" — कहती आकृति विज्ञा 'अर्पण' की कुछ अच्छी कविताएं पढ़ें। ~ सं0
शब्द को पंक्ति का प्रेमपत्र ~ अनामिका अनु | Shabd ko Pankti ka Prempatra - Anamika Anu
अनामिका अनु के गद्य में बहुत रस होता है, इस आलेख में प्रेम की बात हो रही और वह और रसमय हो चला है। आनंद उठाइए ~ सं0
विचार और शब्द की जिज्ञासा, चुंबन पा लेने के आकर्षण से बहुत बड़ी होती है
~ अनामिका अनु
राजेन्द्र यादव के कमाल पर प्रियदर्शन | PriyaDarshan on Rajendra Yadav Charisma
राजेन्द्र यादव जी के कमाल को समझना तकरीबन नामुमकिन है लेकिन प्रिय लेखक प्रियदर्शन का यह लेख यादवजी के कमाल को बहुत पास से दिखला गया। ~ सं0
अरंगेत्रम्: मेधाविनी वरखेडी का रंगमंच प्रवेश - संगीता गुन्देचा | Arangetram: Medhavini Varakhedi - Sangeeta Gundecha
नृत्य का संसार कलाओं में बेहद ऊंचा है। हम अधिकतर उसकी बाहरी काया को तो देख पा रहे होते हैं शायद इस बात से अज्ञान की नृत्य की रूह में संसार का रचयिता विद्यमान है। विदुषी संगीता गुन्देचा को पढ़िए और देखिए उसे। ~ सं0
हीरो की हैरानी ~ ममता कालिया | love story of amitabh and rekha - Mamta Kalia
ममता कालिया को यह महारथ प्राप्त है कि वह हम सबके सामने बिखरे क़िस्सों को कलमबद्ध कर सकती हैं। उनकी कहानी 'हीरो की हैरानी' उनको मिली इस सिद्धि का ताज़ा उदाहरण है। लंबे हीरो की लंबी कहानी का आनंद उठाइए!
जब जब नेता को राजा बनाओगे, गर्भवती सीता को बनवास मिलेगा ~ मृदुला गर्ग | Mridula Garg - Must Watch Interview
मृदुला गर्ग का यह एक मानीख़ेज़ इंटरव्यू है। साहित्य, लेखन, पाठन, विदेश नीति से लेकर वर्तमान सत्ता और भविष्य पर शमशेर सिंह के साथ हुई उनकी यह बातचीत सुनें अवश्य। ~ सं0
राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और स्वदेशी - डॉ. ज्योतिष जोशी | Nationalism, Democracy and Swadeshi ~ Jyotish Joshi
संसार में ऐसा कोई भी देश आज नहीं है जहां कमजोरों के हक की रक्षा बतौर फर्ज होती हो। अगर गरीबों के लिए भी कुछ किया जाता है, तो वह मेहरबानी के तौर पर किया जाता है ~ गांधीजी
गांधीजी के "राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और स्वदेशी" सिद्धांतों को संपूर्णता में समझना ज़रूरी तो है लेकिन समझाए कौन? डॉ ज्योतिष जोशी जी ने इस मुश्किल कार्य को अपने प्रस्तुत लेख — जो उनकी प्रकाश्य पुस्तक - 'विश्वात्मा गांधी ' का महत्वपूर्ण लेख है — में सफलतापूर्वक किया है, और कितनी ही सुंदर भाषा में किया है, जिसकी लय देखते ही बनती है। लेख को पढ़ते, आगे बढ़ाते रहें। ~ सं0
अम्मा की डायरी - वंदना राग की कहानी | Amma's Diary - Short Story by Vandana Rag
कमाल लिखती हैं वंदना राग, ये हमसब जानते हैं, लेकिन लुत्फ़ यह है कि हर बार उनकी कहानी पढ़ने पर हम फिर कहते नहीं थकते - 'कमाल लिखती हैं वंदना राग!' ~ सं0
जंगलगाथा : हाशिए से उठती ध्वनियों से उपजी मार्मिक कथाएँ | Review: Junglegatha by Lokbabu
जंगलगाथा: वरिष्ठ कथाकार लोकबाबू की बारह कहानियों का संग्रह
समीक्षा: घनश्याम त्रिपाठी
कोरिया का जटिल इतिहास — मेटर 2-10 से के-पॉप तक ~ रोहिणी कुमारी | The Complex History of Korea
सियोल में नौकरी से निकाल दिया गया एक रेल कर्मचारी है। उस कर्मचारी ने शहर की एक सोलह मंज़िला फ़ैक्ट्री की चिमनी पर अपना डेरा जमा लिया है और महीनों तक वहीं रहकर अपने साथ हुए इस अन्याय के ख़िलाफ़ धरने पर बैठा रहा है।
कूपमंडूकता या सबसे-बेहतर-मैं बीमारी से बचने का एक कारगर उपाय उस रोचक लेखन को पढ़ना हो सकता है जो आपसे सीधा न जुड़ा होने के बावजूद आपकी सोच का विस्तार कर सकता हो। अब पढ़िए दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कोरियाई भाषा एवं साहित्य की जिम्मेवार रोहिणी कुमारी का वह रोचक आलेख जिसकी बानगी आपने ऊपर पढ़ी ~ सं०
क़िस्साग्राम: अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा - अनुरंजनी | Prabhat Ranjan Upanyas Kissagram
प्रभात रंजन के हाल ही में प्रकाशित, चर्चित उपन्यास 'क़िस्साग्राम' का एक अंश आप पढ़ चुके हैं (लिंक) अब पढ़ें उपन्यास पर युवा समीक्षक अनुरंजनी की बेहतर कलम! ~ सं०
Sahitya Akademi To Host Spectacular Festival of Letters: A Literary Extravaganza Celebrating 70 Years of Cultural Heritage
New Delhi, March 8, 2024 - Sahitya Akademi is set to host its annual Festival of Letters from March 11th to March 16th, 2024. This year marks a significant milestone as Sahitya Akademi completes 70 glorious years of fostering literary excellence and preserving the rich tapestry of Indian languages and literature.
कहानी: इंसानी जंगलराज - रीता दास राम | Kahani: Insani JungleRaj - Reeta Das Ram
जब कहानी मासूमियत को बरक़रार रखते हुए संदेश देने की कोशिश करती है तब उसे सफल कहानी माना जाना चाहिए। रीता दास राम की कहानी 'इंसानी जंगलराज' पढ़िएगा, अपनी राय रखिएगा। ~ सं०
नंद चतुर्वेदी: एक समय सचेत कवि ~ प्रो. मलय पानेरी | Nand Chaturvedi: A time-conscious poet
पराजय कब नहीं थीकब नहीं थे झूठ के वाहवाह करने वालेलेकिन तभी दल-दल सेनिकल आया था समयकरिश्में और भाग्य से नहींमनुष्य के उत्साह और संसर्ग से।~ नंद चतुर्वेदी
शोक -स्मृति: उषा किरण खान - रास्ता गुम गया अम्मा! ~ अणु शक्ति सिंह | Anu Shakti Singh on UshaKiran Khan
उषाकिरण खान का जाना हिन्दी जगत को स्तब्ध कर गया है। हिन्दी वाला चाहे जहां का भी हो उनसे प्यार पाता था। ऐसे ही प्यार को युवा लेखिका अणु शक्ति सिंह साझा कर रही हैं अपनी 'शोक -स्मृति' में! ~ सं०
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