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शब्द को पंक्ति का प्रेमपत्र ~ अनामिका अनु | Shabd ko Pankti ka Prempatra - Anamika Anu

अनामिका अनु के गद्य में बहुत रस होता है, इस आलेख में प्रेम की बात हो रही और वह और रसमय हो चला है। आनंद उठाइए  ~ सं0 

विचार और शब्द की जिज्ञासा, चुंबन पा लेने के आकर्षण से बहुत बड़ी होती है

~ अनामिका अनु

राजेन्द्र यादव के कमाल पर प्रियदर्शन | PriyaDarshan on Rajendra Yadav Charisma

राजेन्द्र यादव जी के कमाल को समझना तकरीबन नामुमकिन है लेकिन प्रिय लेखक प्रियदर्शन का यह लेख यादवजी के कमाल को बहुत पास से दिखला गया। ~ सं0 

अरंगेत्रम्: मेधाविनी वरखेडी का रंगमंच प्रवेश - संगीता गुन्देचा | Arangetram: Medhavini Varakhedi - Sangeeta Gundecha

नृत्य का संसार कलाओं में बेहद ऊंचा है। हम अधिकतर उसकी बाहरी काया को तो देख पा रहे होते हैं शायद इस बात से अज्ञान की नृत्य की रूह में संसार का रचयिता विद्यमान है। विदुषी संगीता गुन्देचा को पढ़िए और देखिए उसे। ~ सं0 

हीरो की हैरानी ~ ममता कालिया | love story of amitabh and rekha - Mamta Kalia

ममता कालिया को यह महारथ प्राप्त है कि वह हम सबके सामने बिखरे क़िस्सों को कलमबद्ध कर सकती हैं। उनकी कहानी 'हीरो की हैरानी' उनको मिली इस सिद्धि का ताज़ा उदाहरण है। लंबे हीरो की लंबी कहानी का आनंद उठाइए!

जब जब नेता को राजा बनाओगे, गर्भवती सीता को बनवास मिलेगा ~ मृदुला गर्ग | Mridula Garg - Must Watch Interview

मृदुला गर्ग का यह एक मानीख़ेज़ इंटरव्यू है। साहित्य, लेखन, पाठन, विदेश नीति से लेकर वर्तमान सत्ता और भविष्य पर शमशेर सिंह के साथ हुई उनकी यह बातचीत सुनें अवश्य।  ~ सं0 

राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और स्वदेशी - डॉ. ज्योतिष जोशी | Nationalism, Democracy and Swadeshi ~ Jyotish Joshi

संसार में ऐसा कोई भी देश आज नहीं है जहां कमजोरों के हक की रक्षा बतौर फर्ज होती हो। अगर गरीबों के लिए भी कुछ किया जाता है, तो वह मेहरबानी के तौर पर किया जाता है ~ गांधीजी 

गांधीजी के "राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और स्वदेशी" सिद्धांतों को संपूर्णता में समझना ज़रूरी तो है लेकिन समझाए कौन? डॉ ज्योतिष जोशी जी ने इस मुश्किल कार्य को अपने प्रस्तुत लेख — जो उनकी प्रकाश्य पुस्तक - 'विश्वात्मा गांधी ' का महत्वपूर्ण लेख है — में सफलतापूर्वक किया है, और कितनी ही सुंदर भाषा में किया है, जिसकी लय देखते ही बनती है। लेख को पढ़ते, आगे बढ़ाते रहें। ~ सं0 

अम्मा की डायरी - वंदना राग की कहानी | Amma's Diary - Short Story by Vandana Rag

कमाल लिखती हैं वंदना राग, ये हमसब जानते हैं, लेकिन लुत्फ़ यह है कि हर बार उनकी कहानी पढ़ने पर हम फिर कहते नहीं थकते - 'कमाल लिखती हैं वंदना राग!' ~ सं0 

जंगलगाथा : हाशिए से उठती ध्वनियों से उपजी मार्मिक कथाएँ | Review: Junglegatha by Lokbabu

जंगलगाथा: वरिष्ठ कथाकार लोकबाबू की बारह कहानियों का संग्रह

समीक्षा: घनश्याम त्रिपाठी

कोरिया का जटिल इतिहास — मेटर 2-10 से के-पॉप तक ~ रोहिणी कुमारी | The Complex History of Korea

सियोल में नौकरी से निकाल दिया गया एक रेल कर्मचारी है। उस कर्मचारी ने शहर की एक सोलह मंज़िला फ़ैक्ट्री की चिमनी पर अपना डेरा जमा लिया है और महीनों तक वहीं रहकर अपने साथ हुए इस अन्याय के ख़िलाफ़ धरने पर बैठा रहा है।

कूपमंडूकता या सबसे-बेहतर-मैं बीमारी से बचने का एक कारगर उपाय उस रोचक लेखन को पढ़ना हो सकता है जो आपसे सीधा न जुड़ा होने के बावजूद आपकी सोच का विस्तार कर सकता हो। अब पढ़िए दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कोरियाई भाषा एवं साहित्य की जिम्मेवार रोहिणी कुमारी का वह रोचक आलेख जिसकी बानगी आपने ऊपर पढ़ी ~ सं० 

क़िस्साग्राम: अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा - अनुरंजनी | Prabhat Ranjan Upanyas Kissagram

प्रभात रंजन के हाल ही में प्रकाशित, चर्चित उपन्यास 'क़िस्साग्राम' का एक अंश आप पढ़ चुके हैं (लिंक) अब पढ़ें उपन्यास पर युवा समीक्षक अनुरंजनी  की बेहतर कलम! ~ सं०

Sahitya Akademi To Host Spectacular Festival of Letters: A Literary Extravaganza Celebrating 70 Years of Cultural Heritage


New Delhi, March 8, 2024 - Sahitya Akademi is set to host its annual Festival of Letters from March 11th to March 16th, 2024. This year marks a significant milestone as Sahitya Akademi completes 70 glorious years of fostering literary excellence and preserving the rich tapestry of Indian languages and literature.

कहानी: इंसानी जंगलराज - रीता दास राम | Kahani: Insani JungleRaj - Reeta Das Ram

जब कहानी मासूमियत को बरक़रार रखते हुए संदेश देने की कोशिश करती है तब उसे सफल कहानी माना जाना चाहिए। रीता दास राम की कहानी 'इंसानी जंगलराज' पढ़िएगा, अपनी राय रखिएगा। ~ सं०  

नंद चतुर्वेदी: एक समय सचेत कवि ~ प्रो. मलय पानेरी | Nand Chaturvedi: A time-conscious poet

पराजय कब नहीं थी
कब नहीं थे झूठ के वाहवाह करने वाले
लेकिन तभी दल-दल से
निकल आया था समय
करिश्में और भाग्य से नहीं
मनुष्य के उत्साह और संसर्ग से। 
   ~ नंद चतुर्वेदी

शोक -स्मृति: उषा किरण खान - रास्ता गुम गया अम्मा! ~ अणु शक्ति सिंह | Anu Shakti Singh on UshaKiran Khan

उषाकिरण खान का जाना हिन्दी जगत को स्तब्ध कर गया है। हिन्दी वाला चाहे जहां का भी हो उनसे प्यार पाता था। ऐसे ही प्यार को युवा लेखिका अणु शक्ति सिंह साझा कर रही हैं अपनी 'शोक -स्मृति' में! ~ सं० 

हे वलेक्सा एक फ़ड़कता व्यंग्य लिखो ना ~ मलय जैन | Vyangya by Maloy Jain

मलय जैन भाई का लेखन इतना परिपक्व है कि बार-बार पढ़ा जा सकता है. 'जय हिंदी' बोलते हुए पढ़िए उनका ताज़ा क़रारा व्यंग्य! ~ सं० 

घूमर - मधु कांकरिया, श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफ्को साहित्य सम्मान २०२३ से सम्मानित कथाकार की कहानी | Madhu Kankaria ki Kahaniyan

श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफ्को साहित्य सम्मान २०२३ से सम्मानित कथाकार मधु कांकरिया की कहानियाँ इस पाठक को पसंद आती रही हैं लेकिन, 'घूमर', उनकी प्रस्तुत कहानी कुछ अधिक ही अच्छी, सच्ची, हमसब के आसपास गुज़री कहानी लगी. वक़्त मिले तो ज़रूर पढ़िएगा ~ सं०   

धूल भरे शहर में गुलज़ार साहब का आना ~ कंचन जायसवाल | Gulzar in Faizabad

बीते दिनों बाबा, गुलज़ार साहब हमारे शहर फ़ैज़ाबाद गए थे. बड़ा मन था वहाँ उस समय होने का, जा नहीं सका लेकिन, शहर की उभरती लेखिका कंचन जायसवाल ने अपने (प्रस्तुत) संस्मरण के ज़रिये कुछ-कुछ वहाँ पहुँचा दिया. आप भी हो आइये ...  सं० 

महाजनी सभ्यता का तिलस्म और प्रेमचंद ~ नन्द चतुर्वेदी | Mahajani Sabhyata... Nand Chaturvedi on Premchand

Mahajani Sabhyata... Nand Chaturvedi on Premchand


नैतिक प्रतिबद्धता होने के कारण ही प्रेमचंद का विरोध स्तर उन सब अविश्वसनीय से अलग होता है, जो सिर्फ बातूनी है और ऐश्वर्यमयी जिंदगी जीते हैं। 

~ नन्द चतुर्वेदी

नन्द चतुर्वेदी (1923–2014) की जन्म शताब्दी मना रहे हम हिन्दीवालों को प्रो पल्लव ने नन्द बाबू की किताब शब्द संसार की यायावरी से मुंशी प्रेमचंद पर लिखा यह आलेख पढ़ा कर बड़ा नेक काम किया है. ~ सं० 

'लिव-इन के नाम क़त्ल होती लड़कियों के नाम' व अन्य कविताएं ~ दामिनी यादव | Live-in Poetry ~ Damini Yadav

दामिनी यादव की इन तीन कविताओं में से पहली पर मेरी प्रतिक्रिया — लिव-इन के नाम क़त्ल होती लड़कियों के नाम... पढ़ी। सारे मर्मों को कोंच गई। दामिनी, बहुत बहुत गहरी और समाज द्वारा  नवनिर्मित पापों को सामने रखती हुई कविता है, ये बात और है कि आदमी को पाप हमेशा से सुहाते, फुसलाते, बुलाते रहे हैं। ~ सं०