हिन्दी साहित्य की दुनिया (कहीं-कहीं तथाकथित) में विचरण करते करते वहाँ के निवासी भूल जाते हैं कि हिन्दी की एक और दुनिया है जो उनकी वाली से बड़ी है। कथ…
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना घरौंदे बनाना बना के मिटाना वो मा'सूम चाहत की तस्वीर अपनी वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी न दु…
'सप्तपर्णी' फूल की शैतानी खुशबू (इसके पेड़ को अंग्रेज़ी में 'डेविल्स ट्री' भी कहते हैं) से मोहित होकर, मैंने 2018 में फेसबुक पर लिखा थ…
"मेरे ख़्याल से हिन्दी साहित्य जगत में फ़्लर्ट करने की कला, सिर्फ दो जन जानते हैं, राजेन्द्र यादव और मनोहर श्याम जोशी।" मृदुला गर्ग की लि…
वैसे तो अनेक पुरुष लेखक स्त्री को समझने की बात करते हैं, उसकी तरफ़ से लिखते हैं लेकिन प्रभात रंजन की ‘हंस’ में प्रकाशित कहानी ‘शनेल नंबर-5’ उस लेखकीय…
अच्छा हुआ कि मित्र विवेक मिश्र से उनका मन्नूजी वाला यह इंटरव्यू मांग लिया। यह दरअसल एक टिपिकल इंटरव्यू नहीं है इसमें मन्नू भंडारीजी ने कई बातों का ख…
मजबूत और सच्ची बात मसलन — "गांवों के चूल्हे की सोंधी महक/और शहर की फैक्टरी की दुर्गंध/मुझे इतना पागल नहीं करतीं/कि मैं कहूं गाँव शिक्षित हो चुक…
अनामिका अनु के गद्य में बहुत रस होता है, इस आलेख में प्रेम की बात हो रही और वह और रसमय हो चला है। आनंद उठाइए ~ सं0 विचार और शब्द की जिज्ञासा, चुंब…
राजेन्द्र यादव जी के कमाल को समझना तकरीबन नामुमकिन है लेकिन प्रिय लेखक प्रियदर्शन का यह लेख यादवजी के कमाल को बहुत पास से दिखला गया। ~ सं0
नृत्य का संसार कलाओं में बेहद ऊंचा है। हम अधिकतर उसकी बाहरी काया को तो देख पा रहे होते हैं शायद इस बात से अज्ञान की नृत्य की रूह में संसार का रचयिता…
ममता कालिया को यह महारथ प्राप्त है कि वह हम सबके सामने बिखरे क़िस्सों को कलमबद्ध कर सकती हैं। उनकी कहानी 'हीरो की हैरानी' उनको मिली इस सिद्ध…
मृदुला गर्ग का यह एक मानीख़ेज़ इंटरव्यू है। साहित्य, लेखन, पाठन, विदेश नीति से लेकर वर्तमान सत्ता और भविष्य पर शमशेर सिंह के साथ हुई उनकी यह बातचीत …
संसार में ऐसा कोई भी देश आज नहीं है जहां कमजोरों के हक की रक्षा बतौर फर्ज होती हो। अगर गरीबों के लिए भी कुछ किया जाता है, तो वह मेहरबानी के तौर पर क…
कमाल लिखती हैं वंदना राग , ये हमसब जानते हैं, लेकिन लुत्फ़ यह है कि हर बार उनकी कहानी पढ़ने पर हम फिर कहते नहीं थकते - 'कमाल लिखती हैं वंदना राग!&…
जंगलगाथा: वरिष्ठ कथाकार लोकबाबू की बारह कहानियों का संग्रह समीक्षा: घनश्याम त्रिपाठी
उसने कहा था चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
सियोल में नौकरी से निकाल दिया गया एक रेल कर्मचारी है। उस कर्मचारी ने शहर की एक सोलह मंज़िला फ़ैक्ट्री की चिमनी पर अपना डेरा जमा लिया है और महीनों तक…
प्रभात रंजन के हाल ही में प्रकाशित, चर्चित उपन्यास 'क़िस्साग्राम' का एक अंश आप पढ़ चुके हैं ( लिंक ) अब पढ़ें उपन्यास पर युवा समीक्षक अनुरंजनी …
New Delhi, March 8, 2024 - Sahitya Akademi is set to host its annual Festival of Letters from March 11th to March 16th, 2024. This year marks a sig…
जब कहानी मासूमियत को बरक़रार रखते हुए संदेश देने की कोशिश करती है तब उसे सफल कहानी माना जाना चाहिए। रीता दास राम की कहानी 'इंसानी जंगलराज' प…