कविता के बाद कहानी पर नजर - अनंत विजय अनंत विजय, नामवर सिंह की बात करते हुए बताते हैं कि नामवर जी ने एक बार कहा था – "हिंदी में अ…
हिंदी के ‘छद्म’ पुरस्कार - अनंत विजय हिंदी के लेखकों को पद्म पुरस्कार तो कम मिलता है लेकिन यहां थोक के भाव से छद्म पुरस्कार बांटे जा…
सेक्लयुर चैंपियनों की असलियत ! - अनंत विजय समाज सुधारक और धर्मनिरपेक्ष होने का तमगा... हाल के दिनों में पूरे देश में दो मुद्दे की…
साहित्यक सर्वे में लापरवाही का “खेल’ ~ अनंत विजय आज से करीब सोलह साल पहले की बात है । दिल्ली के एक प्रतिष्ठित दैनिक में साहित्यिक पु…
साहित्य में अश्लीलता - अनंत विजय साहित्य में भाषा का सवाल गाहे बगाहे उठता रहा है । जब भी कोई ऐसी कृति आती है जिसमें भाषा की स्थापित म…
लेखकीय असहिष्णुता पर सवाल ~ अनंत विजय आलोचनात्मक टिप्पणी करनेवाले और रचनाकार के बीच बातचीत बंद हो जाना तो आम बात है …